दुर्ग शहर विधानसभा बना चर्चा का केन्द्र,राजेश यादव,आर एन वर्मा,देवेश मिश्रा है कांग्रेस से मजबूत चेहरा
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दुर्ग: विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियां जोरों पर है सत्ताधारी दल कांग्रेस व विपक्ष भाजपा सहित अन्य विपक्षी दल अपने अपने स्तर पर योग्य प्रत्याशी चयन और कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने में लगे हुए हैं। कांग्रेस पार्टी ने एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत दावेदारों से आवेदन मंगवाए है।
ज्ञात हो कि दुर्ग शहर में लगातार 6 बार वर्तमान विधायक अरुण वोरा चुनाव लड़ चुके हैं। प्रारंभिक मात्र 1993 का चुनाव जीतने के पश्चात् लगातार तीन चुनाव 1998,2003और 2008 का विधानसभा चुनाव भी अरुण वोरा हारते रहे। बावजूद इसके उन्हें अपने पिता और कांग्रेस की राजनीति में दखल रखने वाले तब गांधी परिवार के नजदीकी वरिष्ठ नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा की दिल्ली की राजनीति में सक्रिय होने और एकमात्र सीट दुर्ग शहर विधानसभा से लगातार टिकट मिलती रही, चुंकि कांग्रेस हाईकमान की यह सोच रहती थी, कि पूरे देश में एक छोटे से राज्य छत्तीसगढ में एक विधानसभा सीट हार भी जाए तो उससे केंद्र की राजनीति या कांग्रेस पार्टी को बहुत ज्यादा कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। इसी परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस में एंटोनी कमेटी सहित तमाम कमेटियों के सर्वे को दरकिनार करने के कारण ही अरुण वोरा लगातार तीसरा चुनाव 2008 में भी हारे।
पूरे देश की राजनीति से दूर पुनः2013 में मात्र दुर्ग शहर विधानसभा से टिकट की चाह रखने वाले अरुण वोरा को फिर टिकट मिली। इस चुनाव में कांग्रेस की आपसी अंतर्कलह के कारण छत्तीसगढ में कांग्रेस की सरकार बनते बनते रह गई, परंतु अरुण वोरा को सफलता प्राप्त हुई, भले ही जीत का अंतर कम रहा।
इसी प्रकार 2018 में उन्हें टिकट मिली और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष फायर ब्रांड नेता भूपेश बघेल व टी एस सिंहदेव के मजबूत नेतृत्व व लगातार 15 वर्षो से बीजेपी के सरकार विरोधी लहर होने का भरपूर लाभ कांग्रेस को मिला। कांग्रेस पार्टी को छत्तीसगढ़ में उम्मीद से भी ज्यादा सफलता मिली, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा जनघोषणाओं को लगभग पूर्ण करने, साथ ही साथ छत्तीसगढवासियों की मूल भावनाओ के अनुरूप कार्य करने, कृषि व ग्राम आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने, छत्तीसगढ़ी धर्म संस्कृति परंपरा रीतिरिवाज के संवर्धन करने में महत्तवूर्ण कार्य किए, जिससे एक लोकप्रिय संवेदनशील सरकार के रूप में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि बनी हुई है।
वही दूसरी ओर 2023 विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस हाईकमान ने कमर कस लिया है।वे किसी भी स्थिति में यहां की सत्ता मे वापिस आने की तमाम उपाय कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एक एक सीट का बारीकी से अध्ययन कर कई विधानसभा क्षेत्रों में नए चेहरे उतारने विचार कर रही है। कई वर्तमान विधायक सत्ता विरोधी लहर का सामना करने में सक्षम नही है, साथ ही वर्षो से कांग्रेस पार्टी की सेवा में लगे अन्य सक्षम नेताओं को भी एक अच्छा अवसर यह चुनाव ही है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व ने भी हर विधानसभा से चुनाव लड़ने इच्छुक दावेदारों से आवेदन मंगवाया। दुर्ग शहर विधानसभा क्रमांक 64 से विधायक अरुण वोरा, राजेश यादव,आर एन वर्मा, देवेश मिश्रा मदन जैन सहित लगभग 27 कांग्रेस नेताओं ने टिकट मांगी है।
यदि वर्तमान स्थिति को देखा जाए, तो जो ताजा सर्वे रिपोर्ट छन कर आ रही है, उसके अनुसार विधायक अरुण वोरा की स्थिति खराब है। जनता के बीच तो नकारात्मक खबरें है ही,पार्टी में भी संगठन व सत्ताधारी नेता निगम पार्षदों में खासे नाराजगी अरुण वोरा के व्यवहार और उनके क्रियाकलापों के कारण है, जिसका खामियाजा उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने पर कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है।
ऐसी चर्चाएं लगातार चल रही है कि विधायक अरुण वोरा अपने अधीनस्थ नेताओं और कार्यकर्ताओं को सन्तुष्ट करने में असफल रहे हैं। किसी भी छोटे से छोटे कार्य के लिए भी कार्यकर्ताओं से कई चक्कर लगवाते हैं, फिर भी उनका काम नही करते।मीडियाकर्मियों के बीच भी उनकी छवि ठीक नहीं है। अधिकारियों कर्मचारियों को सार्वजनिक रूप से किसी भी कार्य को करने अनावश्यक दबाव केवल मीडिया में छाए रहने किया जाता है, यह भी आरोप विधायक वोरा पर लगा हुआ है। उनके विधायक काल में कांग्रेस का ब्लॉक व जिला संगठन शून्य है। कांग्रेस संगठन को कोई भी बैठक आंदोलन अथवा कार्यक्रम करने प्रेरित करने की बात तो दूर उन्हे ऐसा करने से एक प्रकार से रोका ही जाता है। संगठन में अरुण वोरा ने मनमर्जी से पदाधिकारी बनाए है, जो केवल उनके इशारे पर ही चलते हैं। ऐसी स्थिति में दुर्ग शहर विधानसभा में नए चेहरे को प्रत्याशी बनाया जाना उपयुक्त होगा। वर्तमान में दावेदार प्रत्याशियो में मुख्यमंत्री के करीबी नेता राजेश यादव सभापति नगर निगम, आर एन वर्मा उपाध्यक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य देवेश मिश्रा का नाम प्रमुखता से आ रहा है। राजेश यादव छात्र राजनीति से राजनीति में है, वही आर एन वर्मा पूर्व महापौर और संगठन में जिला अध्यक्ष का दायित्व निभा चुके हैं। देवेश मिश्रा कांग्रेस संगठन में जिला प्रवक्ता, विभिन्न चुनाव संचालन,अन्य प्रदेशों में प्रभारी का दायित्व निभा चुके हैं। सभी दावेदारों की अपनी साख है। दुर्ग विधानसभा में यदि अरुण वोरा को छोड़कर सामान्य सीट बतौर
विचार किया जाता है तो देवेश मिश्रा एक नया सशक्त चेहरा हो सकता है, चूंकि दुर्ग शहर प्रारंभ से सामान्य सीट रहा है।
आसपास के सभी विधानसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जातियों को प्राथमिकता मिलती रही है।वहीं दूसरी ओर अन्य पिछड़ा वर्ग में राजेश यादव व आर एन वर्मा में कोई भी उपयुक्त प्रत्याशी हो सकते हैं। बहरहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं कांग्रेस हाईकमान पर निर्भर करता है कि वे विधायक अरुण वोरा को पुनः टिकट दें अन्यथा परिवर्तन करें।