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“कही-सुनी”:  मेहनत पर भारी परिक्रमा

  • वरिष्ठ पत्रकार रवि भोई की कलम से

निगम-मंडलों में कांग्रेस नेताओं की नियुक्तियों के साथ नए विवाद का जन्म और बवाल भी शुरू हो गया है। कहा जा रहा है नियुक्ति के मापदंड में मेहनत पर परिक्रमा भारी पड़ गया । नियुक्ति की तीसरी और चौथी सूची में ऐसे चेहरे ज्यादा नजर आ रहे हैं, जो अनजान या एकदम नए हैं , तो दूसरी तरफ सालों से पार्टी के लिए पसीना बहाने वालों की उम्मीदों पर पानी फिर गया या उन्हें झुनझुना मिला।

दिग्विजय सिंह के शासनकाल में हस्तशिल्प विकास निगम के अध्यक्ष रहे जगदीश मेहर को खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड का सदस्य बनाया गया है। बुनकर समाज से ताल्लुक रखने वाले जगदीश विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के करीबी कहे जाते हैं।

रायपुर विकास प्राधिकरण के सदस्य बनाए जाने से अरूण भद्रा गुस्से में हैं । कहते हैं संगठन के लिए जुटे रहने वाले भद्रा की बंगाली समाज में अच्छी खासी दखल है। पार्टी बस्तर में उनके संपर्कों का लाभ लेती है। इस बार असम चुनाव में भी उनकी सेवाएं ली गई थी। भवन सन्निर्माण कर्मकार मंडल जैसे बड़े और संपन्न निगम में सुशील सन्नी अग्रवाल की नियुक्ति पुराने कांग्रेसियों को चुभ रही है। कहते हैं पार्टी में नए-नवेले सुशील सन्नी अग्रवाल पर प्रभारी महासचिव पी एल पुनिया की कृपा बरसी। तेलघानी बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए संदीप साहू भी कांग्रेसियों को नए लग रहे हैं। कृषक कल्याण परिषद के सदस्य बनाए गए सूरजपुर के संदीप गुप्ता की नियुक्ति ने कांग्रेसियों के होश उड़ा दिया है । करीब चार महीने पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आई अर्चना पोर्ते भी पद पा गई।

रमेश वर्ल्यानी इंतजार ही करते रह गए। बीज निगम पर कई नेताओं की निगाह थी, लेकिन बाजी मार गए पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर। अभी कुछ निगम-मंडल खाली हैं, पर पार्टी में एक अनार सौ बीमार वाली कहावत है।

राजभवन और सरकार में जमी बर्फ पिघली

लगता है अब राजभवन और सरकार के बीच जमी बर्फ पिघल गई है। 13 जुलाई को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाक़ात के बाद लोग यही कयास लगा रहे हैं। राजभवन में दोनों के बीच उपहारों का आदान -प्रदान हुआ। चाय के साथ तारीफों के बीच दोनों में कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री कई महीनों बाद राज्यपाल से मिलने गए। इस बीच राजभवन और सरकार में विपरीत धारा की ख़बरें आईं। वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे ने सेतु बांधने का प्रयास भी किया। तब बात बनी नहीं थी, लेकिन अब सत्ता और सविधान प्रमुख की भेंट से राज्य में नए रास्ते खुलने के आसार बताए जा रहे हैं।

जानकारों का मानना है कि ढाई-ढाई साल को लेकर छाया कुहासा छट गया है और दिल्ली सरकार को भी छत्तीसगढ़ में सत्ता का पाया हिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निगम-मंडल में नियुक्ति की तीसरी और चौथी बहुप्रतीक्षित सूची मर्जी के मुताबिक जारी कर अपनी मजबूती का संदेश दे दिया है।

बिजली बोर्ड में रिटायर्ड अफसरों को ताज

छत्तीसगढ़ बिजली बोर्ड में रिटायर्ड अफसरों की ताजपोशी लोगों को समझ नहीं आ रहा है। बिजली बोर्ड छत्तीसगढ़ की बड़ी सरकारी संस्था है और उपजाऊ भी है।

सरकार की छवि और जनता से सीधे वास्ता वाले बिजली बोर्ड के पांच में से चार कंपनियों की कमान रिटायर्ड अफसरों के हाथों ही है। बिजली वितरण कंपनी में हर्ष गौतम, पारेषण कंपनी में एसडी तेलंग, उत्पादन कंपनी में एनके बिजौरा और ट्रेडिंग कंपनी में राजेश वर्मा एमडी की कुर्सी पर विराजे हैं।

बिजली बोर्ड में इस वक्त होल्डिंग कंपनी की एमडी उज्जवला बघेल ही सेवा में हैं। रिटायर्ड लोगों को ही ऊंची कुर्सियों में बैठाये रखने से बोर्ड में विरोध के स्वर भी फूटने लगे हैं। वैसे सरकार ने रिटायर्ड अफसरों की नैय्या पार लगाने के लिए 2006 बैच के आईएएस अफसर अंकित आनंद को बोर्ड का चैयरमेन बना रखा है। अब देखते हैं रिटायर्ड अफसरों के कंधों पर उड़ान भरती कंपनियां कैसे बोर्ड को ऊंचाई पर पहुंचाती हैं ?

अटल की नियुक्ति से शैलेष को झटका

कहा जा रहा है कांग्रेस नेता अटल श्रीवास्तव को पर्यटन मंडल का अध्यक्ष बनाए जाने से बिलासपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का खेमा मजबूत होगा। अटल की नियुक्ति को बिलासपुर के विधायक शैलेष पांडेय के लिए करारा झटका माना जा रहा है। शैलेष और अटल में छत्तीस का आंकड़ा बताया जाता है।

2019 का लोकसभा चुनाव हार गए अटल को भूपेश बघेल का करीबी माना जाता है, जबकि शैलेष को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ जोड़कर देखा जाता है। अटल की नियुक्ति से बिलासपुर में नई राजनीति की अटकलें भी लगाईं जा रही हैं। संसदीय सचिव रश्मि सिंह भले तखतपुर से विधायक हैं, पर उनकी राजनीति का केंद्र बिंदु तो बिलासपुर को ही माना जाता है। अब देखना है कि अटल, शैलेष और रश्मि की राजनीतिक दिशा क्या होती है।

काम से पहले डर

कहते हैं छह माह बाद होने वाले नगर पालिका चुनाव में हार के डर से सारंगढ़ के कांग्रेस नेता सीधी भर्ती वाली आईएएस रेना जमील से काम संभालने से पहले ही घबरा गए। रेना जमील की सारंगढ़ के एसडीएम के तौर पर फील्ड में पहली पोस्टिंग थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने ही 2019 बैच की आईएएस को सहायक कलेक्टर बस्तर से एसडीएम सारंगढ़ बनाकर भेजा था और 12 दिन तक कार्यभार ही ग्रहण नहीं कर पाईं।

झारखंड के धनबाद जिले की निवासी रेना जमील को अब सक्ती का एसडीएम बनाया गया है। चर्चा है कि कांग्रेस नेताओं के दबाव में सरकार को फैसला बदलना पड़ा। आईएएस को तो नया सब डिवीजन मिल गया, पर इससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं और मामले में राजनीतिक रंग भी चढ़ने लगा है।

सधे सत्यनारायण शर्मा

कहते हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पंकज शर्मा को जिला सहकारी बैंक रायपुर का अध्यक्ष बनाकर वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा को साध लिया। छत्तीसगढ़ बनने से पहले दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रीत्वकाल में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माने जाने वाले सत्तू भैया भूपेश कैबिनेट में जगह नहीं पा सके। रविंद्र चौबे बाजी मार ले गए।

कहा जाता है इससे सत्यनारायण शर्मा को झटका तो लगा। अब बेटे पंकज को सहकारी बैंक की कमान मिल जाने से सत्यनारायण के राजनीतिक विरासत को पर लगने की बात कही जा रही है। पंकज को अपने पिता का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता है।

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