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जनरल स्टोर्स, शेड, बरामदे के नाम पर भी करोड़ों रुपए की बंदरबांट

रायगढ़ ।जिले में बजरमुड़ा कांड अब तक का सबसे सनसनीखेज घोटाला हो सकता है। इसमें छोटे टुकड़ों में जमीन खरीदी तो हुई ही, साथ ही सर्वे में मनमानी जानकारी डाल दी गई। जनरल स्टोर्स के नाम पर भी सवा करोड़ रुपए का मुआवजा उठा लिया गया। वहीं शेड और बरामदे के लिए भी करोड़ों रुपए बांटे गए। छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को तमनार में गारे पेलमा सेक्टर-3 कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था।

भूमि अधिग्रहण के पहले रायगढ़ जिले में गड़बड़ी के तरीके बदल दिए गए। पहले छोटे टुकड़ों में खरीदी का ही ट्रेंड था, लेकिन बजरमुड़ा कांड ने सब कुछ बदल दिया है। इस गांव में 149 एकड़ का अधिग्रहण होना था, जिसमें एक फसली जमीन को दो फसली बताकर 300 करोड़ का मुआवजा हासिल किया गया है। परिसंपत्तियों के आकलन में ही भारी गड़बड़ी गई। बजरमुड़ा में भूअर्जन के पूर्व सर्वे किया गया।

इसी दौरान एक फसली भूमि को दो फसली बताकर एंट्री की गई। इसके अलावा छोटे-छोटे निर्माणों को बहुत ज्यादा आंकलन करोड़ों में मुआवजा बनाया गया।

उदाहरण के तौर पर संतोष नायक, यादलाल, भानूप्रताप पिता संकीर्तन आदि को जनरल स्टोर्स के एवज में 1.26 करोड़ का मुआवजा दे दिया गया है। मामला यही नहीं रुका। सीढ़ी रूम बताकर 68 लाख रुपए ले लिए गए। जमीन में शेड दिखाकर 1.18 करोड़ सहित कुल 11 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया। 0.607 हे. भूमि के लिए किसान को 55 लाख रुपए मुआवजा दिया गया जबकि इसी जमीन पर वृक्षों के एवज में 1.06 करोड़ दिए गए। मतलब जमीन से ज्यादा पेड़ों का मुआवजा हो गया। बड़े पैमाने पर आर्थिक अपराध को अंजाम दिया गया है।

बरामदे का भी मिला एक करोड़

सर्वे टीम में तमनार तहसील के ही चुने हुए आरआई और पटवारियों की टीम थी। हर प्रभावित के मकान और जमीन का मुआवजा इन्होंने ही तय किया। राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों का ही कारनामा था कि माधवलाल, ज्वालाप्रसाद, बाबूलाल, भरतलाल, सुंदरलाल आदि को गोदाम के लिए 3.59 करोड़ और बरामदे के नाम से 1.16 करोड़ दे दिए गए। संपत्तियों का गलत मूल्यांकन करने के पहले डील कर ली गई। राशि जब एकाउंट में पहुंची तो उसमें से बड़ा हिस्सा उन्हीं राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों में बंट गया।

महाजेंको की जांच भी उन्हीं के भरोसे

वर्तमान में महाजेंको के कोल ब्लॉक के लिए भूअर्जन से पहले सर्वे किया गया है। इसमें भी बजरमुड़ा की ही कहानी दोहराई गई है। सर्वे टीम ने गलत मूल्यांकन किए हैं। टुकड़ों में खरीदी-बिक्री की जांच भी घरघोड़ा एसडीएम करवा रहे हैं। इस टीम में वही कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने बजरमुड़ा कांड को अंजाम दिया है। मामले को रफा-दफा करने की पूरी तैयारी की गई है।

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