कोर्ट ने विवाह व मतांतरण सर्टिफिकेट को शून्य घोषित किया, आर्य समाज मंदिर के खिलाफ दिए जांच के आदेश
ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर में किए गए मुस्लिम लड़की के मतांतरण व विवाह को शून्य घोषित कर दिया। साथ ही पुलिस अधीक्षक गाजियाबाद को आदेश दिया है कि मतांतरण कराकर विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में जांच करें। जांच के बाद कानूनी कार्रवाई की जाए। मतांतरण कराने का किसी संस्था या संगठन को अधिकार नहीं है। जो कानून लागू है, उसके तहत ही मतांतरण किया जा सकता है। इसके लिए कलेक्टर को साठ दिन पहले सूचना देना अनिवार्य है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि सात दिन के अंदर अपर कलेक्टर शिवपुरी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से लड़की की उसके पिता से बात कराएं। यदि लड़की पिता के साथ जाने के लिए तैयार नहीं है तो उसे वहां से स्वतंत्र किया जाए। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित आर्या व न्यायमूर्ति एमआर फडके ने की।
बता दें कि शिवपुरी जिले के पिछोर निवासी राहुल उर्फ गोलू ने 17 सितंबर 2019 को घर से भागकर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के कवि नगर स्थित आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह किया था। लड़की के पिता ने पिछोर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। इसके बाद दोनों दो साल बाद घर लौटकर आए थे। उसके बाद लड़का व लड़की थाने में उपस्थित हुए, लेकिन लड़की के नाबालिग होने की वजह से लड़के पर दुष्कर्म का केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। लड़की ने पिता के साथ जाने से मना किया तो अपर कलेक्टर ने उसे नारी निकेतन में भेज दिया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल ने तर्क दिया कि लड़की बालिग है। उसे नारी निकेतन में नहीं रखा जा सकता है, इसलिए मुक्त किया जाए। अब कोर्ट ने उसे मुक्त करने का आदेश दिया है।
युवक ने लगाई थी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाः राहुल ने जमानत मिलने के बाद अपनी पत्नी को नारी निकेतन से मुक्त कराने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। उसकी ओर से कहा गया कि आर्य समाज मंदिर में दोनों ने विवाह किया है। विवाह से पहले लड़की का धर्म परिवर्तन कराया था। कोर्ट में मतांतरण व विवाह के प्रमाण पत्र भी पेश किए थे। इस पर हाईकोर्ट ने आर्य समाज मंदिर में हुए विवाह व मतांतरण को संज्ञान में ले लिया। कोर्ट का कड़ा रुख देखते हुए याचिकाकर्ता ने याचिका को वापस लेने की गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए याचिका की सुनवाई जारी रखी।
मंदिर स्थान हो सकता है, विवाह कराने वाली संस्था नहींः
-शासन की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने आर्य समाज मंदिरों में होने वाली शादियों पर चिंता जताते हुए कहा था कि मध्य प्रदेश में यह एक बड़ी समस्या बन गई है। मंदिरों में बड़ी संख्या में विवाह कराया जा रहा है। इसके बदले में उनसे पैसे लिए जाते हैं। विवाह का कोई रिकार्ड भी नहीं रखा जाता है। न उम्र का सत्यापन किया जा रहा है। मंदिर विवाह का स्थल हो सकता है. लेकिन विवाह का प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है। रजिस्ट्रार ही विवाह प्रमाण पत्र जारी कर सकता है।
-आर्य समाज मंदिर में हुए मतांतरण मामले में न्यायमित्र एफए शाह ने हिंदू से मुस्लिम व मुस्लिम से हिंदू बनने की कानूनी प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि मंदिर में मतांतरण नहीं कराया जा सकता है। इसकी एक निर्धारित कानूनी प्रक्रिया है। उसके तहत ही मतांतरण किया जा सकता है।