छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर घमासान : राज्यपाल के सवालों पर सीएम भूपेश ने किया पलटवार, पूछा- विभाग विधानसभा से बड़ा है क्या
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मुद्दे पर सियासी घमासान जारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजभवन में हो रही देरी पर कड़ी आपत्ति जताई है। सीएम भूपेश ने कहा कि राज्यपाल के विधिक सलाहकार उन्हें गलत सलाह दे रहे हैं। शुरू में जो बात हुई थी, वह बिल्कुल ठीक हुई थी।
आरक्षण किसी एक वर्ग का नहीं होता। आरक्षण सारे वर्गों के लिए होता है। इसके लिए बहुत सारे नियम होते हैं। क्या ये बात राजभवन को पता नहीं थी। विधानसभा से बड़ा हो गया है क्या कोई विभाग, जो विभागों से जानकारी ले रहे।
विधानसभा से पारित होने के बाद विभागों से जानकारी नहीं ली जाती और कुल मिलकर ये है कि भारतीय जनता पार्टी के हाथों राजभवन है और उनके द्वारा ही पूरा खेल हो रहा। ये ठीक नहीं है। पहले कुछ और स्टैंड था, अब वो स्टैंड बदलते जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आरक्षण केवल आदिवासियों के लिए नहीं है। हमने 32 प्रतिशत आदिवासियों को दिया, लेकिन उसके साथ साथ पिछड़े वर्ग का है। 12 प्रतिशत अनुसूचित जाति का था, उसे 13 प्रतिशत किया। पिछड़े वर्ग का 14 से 27 किया गया है। बता दें कि सीएम ने यह बयान महासमुंद में भेंट मुलाकात से लौटते समय पत्रकारों को दिया।
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर भी बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं के दो मुंह हैं। पहले आरक्षण का समर्थन कर रहे थे और अब क्या कर रहे हैं? सीएम ने आरोप लगाया कि भाजपा राजभवन में खेल कर रही है। उन्होंने पूछा कि क्या विधानसभा से विभाग बड़ा हो गया?
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने किये थे ये सवाल
- विधेयक पारित होने से पहले क्या एसटी, एससी के संबंध में मात्रात्मक विवरण (डाटा) संग्रहित किया गया।
- 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण करने के लिए विशेष और बाध्यकारी परिस्थितियों से संबंधित विवरण उपलब्ध कराएं।
- हाई कोर्ट के 19 सितंबर 2022 के निर्णय के ढाई महीने बाद क्या ऐसी विशेष परिस्थितियों के संबंध में कोई डाटा संकलित किया गया है।
- राज्य सेवाओं में एसटी, एससी का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है।
- एससी, एसटी वर्ग के व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने का डाटा प्रस्तुत करें।
- एसटी, एससी का पिछड़ापन जानने के लिए राज्य सरकार ने क्या कोई कमेटी बनाई है।
- क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन को भेजें।
- आरक्षण संशोधन पर विधि एवं विधायी कार्यविभाग का अभिमत पेश करें। विधेयक में ईडब्ल्यूएस का उल्लेख नहीं है। क्या शासन को ईडब्ल्यूएस के लिए संविधान के अनुच्छेद 16 (6) के तहत पृथक से अधिनियम लाना चाहिए था।
- यह बताएं कि राज्य सेवाओं में एसटी, एससी वर्ग के लोग क्यों चयनित नहीं हो पा रहे हैं।
- एसटी के लिए 32, एससी का 13 और ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण करने से कुल आरक्षण 72 प्रतिशत हो रहा है। क्या यह आरक्षण लागू करने से प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया है। क्या इस संबंध में कोई सर्वेक्षण किया गया है।