छुरा :- छुरा विकासखंड की कई ग्राम पंचायतों में पिछले कई वर्षों से पंचायत सचिवों का फेरबदल नहीं होने के कारण विकास कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार ब्लॉक की कई पंचायतों में सचिव 9 से 10 वर्ष तक बिना बदले लगातार एक ही जगह पर पदस्थ हैं। प्रशासनिक नियमों के अनुसार नियमित अंतराल पर अधिकारियों-कर्मचारियों का स्थानांतरण जरूरी माना जाता है, लेकिन यहां स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है।लंबे समय से पदस्थ सचिवों पर सवालग्रामीणों का कहना है कि जब कोई कर्मचारी वर्षों तक एक ही पंचायत में बना रहता है तो कार्यप्रणाली में पारदर्शिता कम हो जाती है। कई पंचायतों में योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी, फाइलों का लंबा पेंडेंसी, निर्माण कार्यों में अनियमितता और लाभार्थी योजनाओं में बाधा जैसी शिकायतें सामने आती रही हैं।कुछ पंचायत जगाओं में सचिवों पर पक्षपात, मनमानी और गाँव के विकास कार्यों में रुचि न लेने जैसी बातें भी ग्रामीणों ने उठाई हैं।
विकास कार्यों की रफ्तार प्रभावित
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बताया कि मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, सड़क-नाली निर्माण, स्वच्छ भारत मिशन, वृद्धापेंशन और अन्य योजनाएँ सचिवों की लापरवाही के कारण प्रभावित हो रही हैं।
जब सचिव नियमित रूप से कार्यालय में उपस्थित नहीं रहते या फील्ड में निरीक्षण नहीं करते, तब ग्रामीणों की समस्याएँ महीनों तक लंबित रह जाती हैं।एक जनप्रतिनिधि ने कहा, “पंचायतों में सचिवों का बार-बार बदलना जरूरी है ताकि काम में तेजी आए और कोई भी कर्मचारी अपनी मनमानी न कर सके।”
अनियमितताओं की आशंका बढ़ी
पंचायतों में सालों तक एक ही सचिव के बने रहने से फंड के उपयोग, बिल भुगतान, राशन वितरण, जनता की शिकायतों और विकास मदों में पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि सचिवों के लंबे समय तक एक ही पद पर जमे रहने से न सिर्फ कार्य प्रभावित होते हैं बल्कि ग्रामसभा और पंचायत की निर्णय प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है।
ग्रामीणों ने किया प्रशासन से फेरबदल का आग्रहग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने जिला व ब्लॉक प्रशासन से मांग की है कि छुरा ब्लॉक की सभी पंचायतों में वर्षों से पदस्थ सचिवों का तत्काल फेरबदल किया जाए।उनका कहना है कि इससे न सिर्फ पंचायत कार्यों में तेजी आएगी, बल्कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की संभावनाएँ भी कम होंगी।
छुरा ब्लॉक की पंचायतों में सचिवों के लम्बे कार्यकाल को लेकर अब विरोध बढ़ रहा है। ग्रामीणों का स्पष्ट मानना है कि यदि सचिवों का स्थानांतरण शीघ्र नहीं किया गया तो पंचायत स्तर पर विकास और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों प्रभावित होती रहेंगी।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कब और क्या कदम उठाता है। इस संबंध में जिला पंचायत CEO प्रखर चंद्राकर ने बताया कि पंचायतों में परीक्षण (इंस्पेक्शन) करवा कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा,
“जिस भी पंचायत से हमें शिकायतें प्राप्त हुई हैं, वहाँ के सचिवों के विरुद्ध हम पहले भी कार्रवाई कर चुके हैं। आगे भी बहुत जल्द सभी पंचायतों का विस्तृत परीक्षण कराया जाएगा और जहां अनियमितताएँ मिलेंगी, वहाँ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
