CHHATTISGARH : अब राहुल बिल्कुल फाइन, सीएम बघेल ने ट्वीट कर दिया हालत का अपडेट …
Now Rahul is absolutely fine, CM Baghel has tweeted and updated the condition …
रायपुर। जांजगीर जिले के पिहरीद गांव में खुले बोरवेल में गिरे राहुल को 105 घंटे की मशक्कत के बाद रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया था, जिसके बाद से बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल के स्वास्थ्य में हुए सुधार पर ट्वीट कर जानकारी दी है.
सीएम भूपेश बघेल ने टविट कर बताया कि बोरवेल से निकाले जाने के बाद अपोलो बिलासपुर में इलाज करा रहे राहुल साहू का स्वास्थ्य अब बिल्कुल ठीक है. वह ठीक से खा रहा है और चल रहा है, जल्द ही दौड़ेगा भी. सीएम बघेल ने राहुल के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है.
बोरवेल में फंसे राहुल को 105 घंटे रेस्क्यू के बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया है. राहुल के बचाव के लिए लगभग 65 फीट नीचे गड्ढे में उतरी रेस्क्यू दल ने कड़ी मशक्कत के बाद राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला और सीएम के निर्देश पर ग्रीन काॅरिडोर बनाकर अपोलो अस्पताल भेजा गया, जहां राहुल का इलाज जारी है.
खेलते हुए बोरवेल में गिरा था राहुल
जांजगीर-चांपा. जिले के मालखरौदा ब्लॉक के ग्राम पिहरीद में 11 वर्षीय बालक राहुल साहू अपने घर के पास खुले हुए बोरवेल में गिरकर फंस गया था. 10 जून को दोपहर लगभग 2 बजे अचानक घटी इस घटना की खबर मिलते ही जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में तैनात हो गई. समय रहते ही ऑक्सीजन की व्यवस्था कर बच्चे तक पहुंचाई गई. कैमरा लगाकर बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ उनके परिजनों के माध्यम से बोरवेल में फंसे राहुल पर नजर रखने के साथ उनका मनोबल बढाया जा रहा था. उसे जूस, केला और अन्य खाद्य सामग्रियां भी दी जा रही थी. विशेष कैमरे से पल-पल की निगरानी रखने के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही थी.
10 जून से ही जारी था रेस्क्यू कार्य
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन (एनडीआरएफ) की टीम ओडिशा के कटक और भिलाई से आकर रेस्क्यू में जुटी थी. सेना के कर्नल चिन्मय पारीकअपने टीम के साथ इस मिशन में जुटे थे. रेस्क्यू से बच्चे को सकुशल निकालने के लिए हर संभव कोशिश की गई. देश के सबसे बड़े रेस्क्यू के पहले दिन 10 जून की रात में ही राहुल को मैनुअल क्रेन के माध्यम से रस्सी से बाहर लाने की कोशिश की गई. राहुल द्वारा रस्सी को पकड़ने जैसी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने के बाद परिजनों की सहमति और एनडीआरएफ के निर्णय के बाद तय किया गया कि बोरवेल के किनारे तक खुदाई कर रेस्क्यू किया जाए. रात लगभग 12 बजे से पुनः अलग-अलग मशीनों से खुदाई प्रारंभ की गई.
मजबूत चट्टान आने रेस्क्यू अभियान में हुई थी देरी
लगभग 60 फीट की खुदाई किए जाने के बाद पहले रास्ता तैयार किया गया. एनडीआरएफ और सेना के साथ जिला प्रशासन की टीम ने ड्रीलिंग करके बोरवेल तक पहुचने सुरंग बनाया. सुरंग बनाने के दौरान कई बार मजबूत चट्टान आने से इस अभियान में बाधा आई. बिलासपुर से अधिक क्षमता वाली ड्रिलिंग मशीन मंगाए जाने के बाद बहुत ही एहतियात बरतते हुए काफी मशक्कत के साथ राहुल तक पहुंचा गया और सुरक्षित बाहर निकाला गया था.