CG LAND GUIDELINE : Decision without survey, direct burden on farmers
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बिना जमीनी सर्वे और वास्तविक बाजार मूल्य का आकलन किए भूमि की गाइडलाइन दरों में की गई भारी बढ़ोतरी को लेकर किसानों में जबरदस्त नाराजगी है। शनिवार को रायपुर प्रेस क्लब में किसानों और वकीलों ने संयुक्त पत्रकार वार्ता कर सरकार के फैसले को एकतरफा और जनविरोधी बताया।
किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए सीधे किसानों पर आर्थिक बोझ डाल रही है। बढ़ी हुई गाइडलाइन दरों के खिलाफ अब तक करीब 300 किसान रायपुर कलेक्ट्रेट में आपत्ति दर्ज करा चुके हैं और यह सिलसिला लगातार जारी है।
संगठनों का कहना है कि कई इलाकों में गाइडलाइन दरें 100 से 600 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई हैं, जबकि वहां न तो बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही जमीन की वास्तविक बाजार मांग। इसके बावजूद उन क्षेत्रों को ऊंची श्रेणी में डालकर दरें बढ़ाना किसानों के साथ अन्याय है।
किसानों ने बताया कि गाइडलाइन बढ़ने से रजिस्ट्री, स्टाम्प ड्यूटी, नामांतरण, बैंक ऋण, पारिवारिक बंटवारा और अन्य कानूनी प्रक्रियाएं बेहद महंगी हो गई हैं। इससे छोटे और मध्यम किसानों के साथ-साथ आम लोगों के लिए जमीन और आवास तक पहुंच मुश्किल हो गई है।
अचानक हुई बढ़ोतरी के चलते जमीन की खरीदी-बिक्री लगभग ठप हो चुकी है। कई किसान इलाज, बच्चों की पढ़ाई, शादी और मकान निर्माण जैसी जरूरतों के लिए भी जमीन नहीं बेच पा रहे हैं। इससे कृषि, छोटे व्यापार और पारंपरिक प्रॉपर्टी कारोबार पर भी असर पड़ रहा है।
किसान संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि नई गाइडलाइन में नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, प्रधानमंत्री सड़क और गांव के संपर्क मार्ग सभी को मुख्य मार्ग मान लिया गया है, जो पूरी तरह तर्कहीन है।
किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने संवाद नहीं किया तो यह फैसला आगे चलकर बड़े आंदोलन का कारण बन सकता है।
किसानों की प्रमुख मांगें –
बढ़ी हुई गाइडलाइन दरों को तुरंत स्थगित किया जाए
सभी क्षेत्रों में वास्तविक जमीनी सर्वे कराया जाए
किसान संगठनों और विशेषज्ञों से चर्चा के बाद नई दरें तय हों
पुनर्विचार तक पुरानी दरों पर ही रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाए
