CG RESERVATION ISSUE : आदिवासियों के आरक्षण मुद्दे पर सियासी घमासान, अब राज्यपाल ने मांगी छत्तीसगढ़ सरकार से जानकारी

CG RESERVATION ISSUE: Political uproar over the reservation issue of tribals, now the governor has sought information from the Chhattisgarh government
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आरक्षण पर हाईकोर्ट के हालिया फैसले को लेकर सिसासी घमासान तेज है। राजभवन सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार अब इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में राज्यपाल ने राज्य सरकार की तरफ से इस दिशा में की गई कार्रवाई के संबंध मं जानकारी मांगी है। छत्तीसगढ़ राजभवन के सूत्रों से इस बात का पता चला है कि राज्यापाल अनुसुईया उइके ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद अनुसूचित जनजाति के लिए छत्तीसगढ़ में आरक्षण को 32 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी करने पर सीएम बघेल को पत्र लिखा। इस पत्र में राज्यपाल ने राज्य सरकार से इस संदर्भ में की गई कार्रवाई को लेकर जानकारी मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट से आरक्षण के मुद्दे पर नहीं मिला स्टे –
इससे पहले अक्टूबर में इस मामले में याचिकाकर्ता विद्या सिदार ने हाईकोर्ट के फैसले पर विशेष अनुमति याचिका पर स्टे देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्टे देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ” बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे आर्डर नहीं दिया जा सकता. इस पर पर्याप्त सुनवाई होने तक सरकार को विधि सम्मत कार्रवाई करनी ही होगी।”
सीएम ने अध्ययन दल तमिलनाडु भेजने की कही थी बात –
अभी पूरे देश में आरक्षण सबसे ज्यादा तमिलनाडु में है। वहां आरक्षण व्यवस्था कैसी है। इसको लेकर बघेल सरकार ने अध्ययन टीम भेजने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ के विधायक और पीसीसी चीफ आरक्षण का अध्ययन करने तमिलनाडु जाएंगे। इसके अलावा सीएम ने कहा था कि इस पर राज्य सरकार ने समिति बनाई है। उसकी रिपोर्ट का इंतजार है।
सितंबर 2022 में हाईकोर्ट ने आरक्षण पर सुनाया था फैसला –
19 सितंबर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने 58% आरक्षण को रद्द कर दिया। छत्तीसगढ़ में साल 2012 में राज्य सरकार ने राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और अन्य सरकारी संस्थानों में एडमिशन पर 58 फीसदी आरक्षण जारी किया था। राज्य सरकार के इस नियम को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 21 याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था। फिर सितंबर में इस पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।