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CG POLITICS : भूपेश सरकार के खिलाफ खूब गरजे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पढ़ें बिलासपुर दौरे की बड़ी बातें…

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CG POLITICS: BJP National President JP Nadda thundered against Bhupesh Sarkar, read the big things of Bilaspur tour…

बिलासपुर। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिलासपुर के रेलवे फुटबॉल मैदान में जनसभा को संबोधित कर कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने शराब घोटाला, चावल घोटाला सहित प्रदेश के कई अहम मुद्दों को लेकर भूपेश सरकार की जमकर खिंचाई की। उन्होंने कहा डॉ रमन सिंह की योजनाओं को अपना लेबल चिपका कर चला रहे हैं। रेत का घोटाला हुआ, शराब, कोयला, घोटाला हुआ, गौठान में भी भ्रष्टाचार हुआ है। नवम्बर के बाद फिर इन्हें घर पर बिठाना है।

नड्‌डा ने मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर केंद्र की उपलब्धियां भी गिनाई। साथ ही उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी पर बयानबाजी की- बोले- ‘राहुल गांधी हैं जो वो पढ़ते लिखते नहीं हैं।’ मंच पर प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, पूर्व सीएम रमन सिंह, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल समेत तमाम बड़े नेता मौजूद रहे।

नड्‌डा के बिलासपुर दौरे की बड़ी बातें…

छत्तीसगढ़ से 10 हजार टन चावल गायब हो गया। शराब घोाटाला हुआ। हर ठेके पर नकली शराब मिल रही। उसका कोई लेखा जोखा नहीं। इन्होंने गौ माता को भी नहीं छोड़ा। इन्होंने गायों को नहीं छोड़ा तो किसको छोड़ेंगे।

मोदी कार्यकाल में भारत का विकास दर 8.7 प्रतिशतअटल आवास के जरिए मोदी सरकार में 4 करोड़ मकान बनाए गए। छत्तीसगढ़ में साढ़े 24 लाख महिलाओं के लिए शौचालय बनाया। आयुष्मान योजना के तहत लोगों को 5 लाख का हेल्थ कवर दिया। छत्तीसगढ़ में साढ़े 36 लाख परिवार को हेल्थ कवर मिला।

देश भर में 9 करोड़ 10 लाख लोगों को नल कनेक्शन दिया। छत्तीसगढ़ में 22 लाख लोगों को नल कनेक्शन मिला। 27 लाख लोगों को किसान सम्मान योजना से सम्मानित किया।
इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर 10 लाख करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है। पूरे देश में 54 हजार किलोमीटर की नेशनल हाईवे बन कर तैयार हुई है। देश मे 23 वंदे भारत ट्रेन शुरू की गई है। बिलासपुर से भी वंदे भारत ट्रेन चल रही है। दुनिया में आर्थिक समस्या थी। मगर पूरी दुनिया भारत को देख रही है। छत्तीसगढ़ के भिलाई को आईआईटी दिया। कांकेर में पैसेंजर ट्रेन चल रही है। सरगुजा को हमने मेडिकल कॉलेज दिया। इनके अफसर जेल में हैं मतलब दाल में काला है।

छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा संभाग बिलासपुर है। यहां विधानसभा की 24 सीटें हैं। ऐसे में यहां सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर रहती है। इसलिए बीजेपी भी बिलासपुर संभाग में अपनी स्थिति सुधारने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरने की रणनीति बना रही है। फिलहाल यहां पर अभी 13 सीट पर कांग्रेस का कब्जा है, और 7 सीट पर बीजेपी के विधायकों ने जीत दर्ज की है। जबकि, 2 बहुजन समाज पार्टी और 1 में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक हैं।

पीएम मोदी की उपलब्धि गिनाकर बीजेपी बना रही रणनीति –

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बीजेपी का बिलासपुर संभाग में ज्यादा फोकस है। लेकिन, राज्य सरकार के छत्तीसगढ़ियावाद का भाजपा के पास कोई तोड़ नहीं है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 साल के कार्यकाल व उनकी उपलब्धि बताने के बहाने भाजपा यहां विधानसभा चुनाव का माहौल बनाने की रणनीति बना रही है और केंद्रीय नेता दौरा कर रहे हैं। भाजपा विधानसभा चुनाव के साथ-साथ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है।

छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीट में से 4 लोकसभा सीट केवल बिलासपुर संभाग में है। जिसमें से 3 पर बीजेपी का कब्जा और एक सीट पर कांग्रेस के सांसद हैं। दूसरी खास बात यह है भी है कि बिलासपुर लोकसभा सीट के बीजेपी सांसद अरुण साव प्रदेश के अध्यक्ष हैं तो संभाग के जांजगीर चांपा जिले के बीजेपी विधायक नारायण चंदेल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसे में दोनों ही नेताओं पर संभाग से ज्यादा सीटें जिताने की बड़ी जिम्मेदारी है।

पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाता था बिलासपुर संभाग –

अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर में इंदिरा विरोधी लहर के बावजूद 1977-78 के विधानसभा चुनाव में जिले की 19 विधानसभा सीटों में से 13 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। यही वजह है कि बिलासपुर संभाग को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। जिला विभाजन के दौर में 1998 में जब 10 सीटें हुआ करती थीं, तब यहां पहली बार भाजपा ने 7 सीटें जीती थीं। हालांकि, इसके बाद बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर पानी फेरने का काम किया। फिर बाद में कांग्रेस ने आपसी गुटबाजी के चलते अपने ही गढ़ को ढहा दिया।

बिलासपुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की सभा में भीड़ जुटाने के लिए पदाधिकारी दूसरी पार्टी की महिलाओं को ले गए। लेकिन, हड़बड़ी में महिलाएं भाजपा के बजाए अपनी ही पार्टी के झंडे लेकर सभास्थल पहुंच गईं। यहां सभा में व्यवस्था बनाने के लिए मौजूद पार्टी के पदाधिकारियों को भी इसका ख्याल नहीं रहा कि महिलाएं किस पार्टी से हैं। उन्हें सभा में केवल भीड़ दिखाने से मतलब है।

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