CG BREAKING : CBI की जांच में कई बड़े IAS-IPS अधिकारी फंसे, विभाग में हड़कंप, जानें पूरा मामला
CG BREAKING: Many big IAS-IPS officers trapped in CBI investigation, panic in the department, know the whole matter
रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) 2021 के भर्ती घोटाला केस में प्रदेश के कई आइएएस आइपीएस अधिकारियों पर जांच की तलवार लटक रही है। पीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और उद्योगपति श्रवण कुमार गोयल की गिरफ्तारी के बाद मामले से जुड़े अन्य अधिकारी, नेताओं की दिलों की धड़कने बढ़ गई हैं। CBI इनसे आने वाले दिनों में पूछताछ कर सकती है।
जांच के दायरे में आ रहे कौन से अधिकारी ?
जानकारी के मुताबिक, CBI जल्द ही भर्ती घोटाले के समय राज्यपाल के सचिव रहे सेवानिवृत्त आइएएस अमृत कुमार खलको, पीएससी के सचिव व सेवानिवृत्त आइएएस जीवन किशोर ध्रुव, आइपीएस व तत्कालीन बस्तर नक्सल आपरेशन के डीआइजी केएल ध्रुव, राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी व तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक से मामले की पूछताछ कर सकता है। टामन सोनवानी और श्रवण कुमार गोयल को सात दिन के रिमांड पर लेकर सीबीआई पूछताछ कर रही है। दोनों को 25 नवंबर को फिर कोर्ट में पेश करेगी। जल्द ही अन्य आरोपितों की भी गिरफ्तारी हो सकती है।
क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने सीजीपीएससी 2021 के चयनित 171 अभ्यर्थियों की सूची में से 18 ऐसे नामों को आरोप पत्र के जरिए सार्वजनिक किया था, जो रसूखदारों से जुड़े रहे। दाखिल आरोप पत्र के अनुसार गिरफ्तार किए जा चुके पूर्व अध्यक्ष सोनवानी के भतीजे नितेश सोनवानी, बड़े भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले, भाई की बहू दीपा अजगले, बहन की बेटी सुनीता जोशी सहित पांच रिश्तेदारों का चयन कराया गया है। इसी तरह गिरफ्तार उद्योगपति श्रवण कुमार गोयल के बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका को भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन किया गया।
अन्य अधिकारियों में पीएससी के सचिव जीवन किशोर ध्रुव के बेटे सुमित ध्रुव, उस वक्त राज्यपाल के सचिव रहे अमृत कुमार खलको की बेटी नेहा खलको, बेटा निखिल खलको तत्कालीन डीआइजी ध्रुव की बेटी साक्षी ध्रुव के चयन के चलते इन सभी अधिकारियों के मोबाइल के काल डिटेल खंगाले गए हैं। पीएससी भर्ती परीक्षा 2021 में अपने पुत्र-पुत्री की डिप्टी कलेक्टर पद पर नियुक्ति होने के चलते विवाद में आए आइएएस अमृत खलको को राज्य शासन ने राज्यपाल के सचिव पद से फरवरी 2024 में ही हटा दिया था।