CG BIG NEWS : मुख्यमंत्री को खुश करने सुब्रत साहू ने छीनी 3 करोड़ जनता की स्वतंत्रता, किसान मोर्चा ने ऐसे किया विरोध

Subrata Sahu snatched freedom of 3 crore people to please the Chief Minister, Kisan Morcha protested like this
रायपुर। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। नौकरशाही का राज है। जिसके चलते प्रदेश की डोर चन्द अधिकारियों के हाथ में आ गई है और वे मनमानी करने लगे हैं।
छत्तीसगढ़ की आम जनता त्रस्त है व सड़क पर आकर आंदोलन
कर रही हैं। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन आंदोलनों को संवैधानिक अधिकार दिलाकर समाप्त कराने की बजाय लाठी गोली के बल पर भगाना चाहते हैं। इसका आपातकालीन प्लान गृह विभाग के सुव्रत साहू ने छत्तीसगढ़ में दिशा-निर्देश
दिया।
आंदोलन के लिए शपथमय आवेदन देना होगा व वाहन की लिस्ट सहित आंदोलन प्रशासन के अनुसार चलेगा। इसका सबसे पहला विरोध छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलनकारियों ने किया और छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के चले आ रहे महीनों से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने शंखनाद किया और 1975 कांग्रेस के आपातकाल की संज्ञा दी। आदिवासी भूमि, काबिल कास्त भूमि, वन भूमि, चारागान भूमि पर धन्ना सेठ अधिकारी और राजनेताओं का हजारों करोड़ रूपया लगाकर स्टील पावर प्लांट करणी कृपा प्रा.लि. के नाम से खैरझिटी तुमगाँव में संविधान के विपरीत लगाने की योजना को किसानों ने विरोध कर रोका। इस आंदोलन को जिलाधीश महासमुंद ने गृह
विभाग छत्तीसगढ़ के दिशा-निर्देश के अनुसार हटाने के लिए थाना से बल भेजकर हटाना चाहा परन्तु आंदोलनकारियों ने सत्याग्रह नहीं छोड़ा। सत्याग्रह आज 80 दिनों से सतत चला आ रहा है।
जिलाधीश महासमुंद 4 अप्रैल 2022 को छत्तीसगढ़ की पहली महिला किसान सत्याग्रही महिलाओं ने हजारों की संख्या में महासमुंद में रैली कर ज्ञापन राष्ट्रपति भारत सरकार के नाम सौंपा। घण्टों जिलाधीश नीलेश क्षीरसागर ने चर्चा कर एक माह में समस्त दस्तावेज की जाँच कर आंदोलनकारियों के साथ बैठक कर संवैधानिक हल निकालेंगे और यही संवैधानिक हल के लिए आंदोलन चल रहा है।
04 मई 2022 को आदिवासी पिछड़ी जाति की महिलाएं जिलाधीश महासमुंद से मिलने जिलाधीश कार्यालय पहुंची तो उन्होंने अपने चपरासी के माध्यम से खबर भेजा कि वो किसी भी
महिला से मिलना नहीं चाहते। महिलाओं ने पुनः पूछा कि आज अगर व्यस्त हैं तो कब आ जायें। मैं मिलना ही नहीं चाहता इस पर छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष अनिल दुबे,
राष्ट्रपति भारत सरकार के सेन्ट्रल शिकायत कक्ष में स्वयं जाकर सुप्रीटेन्डेंट को ज्ञापन दर्ज कराया।
महिलाओं से नहीं मिलने की शिकायत महामहिम राज्यपाल से और आयुक्त रायपुर संभाग रायपुर से लिखित में दर्ज कराई। जनता का नौकर जब जनता से नहीं मिलना चाहता तो जनता उसको उतारना जानती है। जिलाधीश महासमुंद द्वारा तुमगाँव हाईवे में जारी आंदोलन को अवैधानिक रूप से हटाने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए। जिसे सत्याग्रहियों ने विनम्रता से टाल दिया और सत्याग्रह जारी रखा। तुमगॉव पुलिस ने नोटिस पर नोटिस देकर नागरिक अधिकार का हनन करना चाहा, जिसे छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलनकारी छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष अनिल दुबे ने गाँव से आये सैकड़ों किसानों को आश्वस्त किया । संविधान का राज है, संविधान के अनुरूप नौकरशाहों को काम करना होगा और छत्तीसगढ़ के तीन करोड़ आमजनों को पुलिसिया भय पैदा करने वाली सरकार के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय में आज ही याचिका दायर करेंगे। जिस पर पटेवा तुमगाँव क्षेत्र के आदिवासी किसान अशोक कश्यप, पिछड़े यादव समाज के नन्दकिशोर यादव को माननीय उच्च न्यायालय में रिट दायर करने के लिए छत्तीसगढ़ी भवन से बिलासपुर भेजा और मात्र 8 दिन में छत्तीसगढ़ शासन के मंसूबे पर पानी फिरा । 11 मई 2022 को माननीय उच्च न्यायालय
द्वारा याचिका दर्ज कर छत्तीसगढ़ शासन को नोटिस जारी किया है। छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलनकारियों द्वारा राजहित पर सैकड़ों संघर्ष किया है यह भी दर्ज हुआ।
ज्ञात रहे 1 मई 2022 को प्रेस क्लब रायपुर में माननीय उच्च न्यायालय में गृह विभाग के सचिव सुब्रत साहू द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश जो जनता पर लागू नहीं होते, सत्याग्रहियों, आंदोलाकारियों पर लागू नहीं होते उनके अधिकार सुरक्षित थे, सुरक्षित हैं। भ्रष्ट अधिकारियों की गीदड़ भभकी को नोटिस जारी हुआ। यही बात हम तुमगाँव हाईवे सत्याग्रहियों के लिए कहेंगे। वे विश्व धरोहर सिरपुर, महासमुंद, तुमगॉव, पटेवा, बारनवापारा के सैकड़ों गाँव के लाखों लोगों को बचाने के लिए संघर्षरत् हैं । भ्रष्टाचार पुलिस बल पर कलकारखाने नहीं लग सकते।
संवैधानिक स्थिति जिलाधीश महासमुंद को स्पष्ट करनी ही होगी
नहीं तो वे करणी कृपा प्रा.लि. में नौकरी कर सकते हैं जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। जनता से उनको मिलना होगा, जनता का काम करना होगा और इसीका वे वेतन लेते हैं। सत्याग्रह जारी है, 80 दिन से सतत् भीषण गर्मी में किसान, महिला किसान, किसान मजदूर लयबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन संवैधानिक स्थिति लागू कराने तक जारी रहेगा।