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Census 2027 : केन्द्र ने जनगणना 2027 के लिए जारी की अधिसूचना

Census 2027 : दिल्ली 16 जून 2025 : केंद्र सरकार ने आज जनगणना 2027 के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी की, जिसके तहत देश में 16वीं और आजादी के बाद 8वीं जनगणना का आयोजन किया जाएगा। यह जनगणना 2011 के बाद पहली बार होगी, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में होने वाली जनगणना स्थगित कर दी गई थी। इस बार की जनगणना कई मायनों में ऐतिहासिक होगी, विशेषकर क्योंकि इसमें पहली बार जातिगत गणना शामिल की जाएगी। यह लेख जनगणना की इस अधिसूचना का विश्लेषण करता है, इसके सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डालता है।

जनगणना की मुख्य विशेषताएँ

दो चरणों में आयोजन: जनगणना दो चरणों में होगी। पहला चरण, मकान सूचीकरण और आवास गणना (HLO), प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति, और सुविधाओं की जानकारी एकत्र करेगा। दूसरा चरण, जनसंख्या गणना (PE), फरवरी 2027 में शुरू होगा, जिसमें व्यक्तिगत जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, और सांस्कृतिक जानकारी दर्ज की जाएगी। लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड जैसे बर्फीले क्षेत्रों में पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जबकि देश के बाकी हिस्सों में यह 1 मार्च 2027 तक पूरा होगा।

डिजिटल तकनीक का उपयोग: यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी, जिसमें मोबाइल एप्लिकेशन और स्व-गणना (Self-Enumeration) का विकल्प शामिल है। यह प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाएगा, साथ ही डेटा लीकेज को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। डेटा मार्च 2027 तक प्राथमिक रूप से और दिसंबर 2027 तक विस्तृत रूप में जारी होने की उम्मीद है।

जातिगत गणना: आजादी के बाद पहली बार, जनगणना में OBC, SC, ST, और सामान्य श्रेणी की सभी जातियों की गणना होगी। प्रश्नावली में जाति का एक नया कॉलम जोड़ा जाएगा, जो सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे आय, शिक्षा, और रोजगार के डेटा को भी दर्ज करेगा।

बड़े पैमाने पर संसाधन: इस प्रक्रिया में लगभग 34 लाख गणनाकर्ता और पर्यवेक्षक, साथ ही 1.3 लाख जनगणना अधिकारी तैनात किए जाएंगे। अधिकांश गणनाकर्ता स्कूल शिक्षक होंगे, जो इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

जातिगत जनगणना की घोषणा ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। विपक्षी दल, विशेषकर कांग्रेस और आरजेडी, लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे, जिसे राहुल गांधी ने 2023 से कई मंचों पर उठाया। सरकार का यह फैसला विपक्ष के दबाव का परिणाम माना जा रहा है, लेकिन केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दावा किया कि कांग्रेस ने ऐतिहासिक रूप से जातिगत जनगणना का विरोध किया।

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