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BREAKING : 18 MLA गायब, विधायक दल की बैठक में नही बनी बात, कौन होगा हिमाचल का मुख्यमंत्री सस्पेंस बरकरार …!

BREAKING: 18 MLAs missing, nothing happened in the Legislature Party meeting, suspense remains on who will be the Chief Minister of Himachal…!

शिमला। कांग्रेस में सीएम पद को लेकर खींचातानी शुरू हो गई है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने सीएम पद के लिए दावेदारी पेश की है. वहीं, हमीरपुर जिले की नादौन विधानसभा से जीतने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू 18 MLA संग CM बनने की तैयारी में जुटे हैं.

बता दे कि शिमला में कांग्रेस पार्टी कार्यालय में विधायक दल की बैठक हुई. बैठक मे सीएम भूपेश बघेल, प्रतिभा सिंह समेत कांग्रेस के विधायक मौजूद हैं. विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया गया हैं. वही कांग्रेस आलाकमान जल्द मुख्यमंत्री पर फ़ैसला लेगा.

हमीरपुर जिले की नादौन विधानसभा से जीतने वाले सुखविंदर सिंह सुक्‍खू के भी सीएम पद का दावा पेश करने की चर्चा है.

हिमाचल प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ दिया हो लेकिन अभी भी ये तय नहीं हो सका है कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा? अब इसके लिए सबकी नजरें आलाकमान पर टिकी हैं. कांग्रेस में सीएम पद को लेकर खींचातानी शुरू हो गई है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने सीएम पद के लिए दावेदारी पेश की है. वहीं, हमीरपुर जिले की नादौन विधानसभा से जीतने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू 18 MLA संग CM बनने की तैयारी में जुटे हैं.

ऐसे में सवाल है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू कितने कितने पावरफुल हैं और उनका दावा कितना सफल साबित होगा?

सुक्खू के दावे में कितना दम, 5 पॉइंट में समझें 1- 40 साल कांग्रेस की सेवा की

मुख्यमंत्री पद के लिए सुक्खू ने जो दावा किया है, उसे नजरअंदाज करना आलाकमान के लिए भी आसान नहीं होगा. सुखविंदर सिंह पिछले 40 साल से कांग्रेस में जुड़े रहे हैं. हाईकमान और संगठन में उनकी गहरी पहुंच रही हैं. तीसरी बार विधायक बन चुके हैं. इसके साथ ही राज्य में जनता के बीच भी उनकी गहरी पकड़ है.

2- कई पदों पर रहे, चुनाव लड़े और जीते भी

हमीरपुर जिले के नादौन के रहने वाले सुक्खू लॉ में डिग्री हासिल करने के बाद स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स से जुड़े. उन्होंने कांग्रेस संगठन में अपनी शुरुआत NSUI से की थी. 9 साल तक एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष रहे. इसी बीच उन्होंने शिमला में रहते हुए नगर निगम का चुनाव लड़ा भी और जीता भी. इसके बाद उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. पिछला रिकॉर्ड यह बताता है कि मुख्यमंत्री पद के लिए इनका दावा कितना अहम है.

3- वीरभद्र के विरोध के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष बने

हिमाचल की राजनीति में सुक्खू को हमेशा से ही वयोवृद्ध कांग्रेस नेत्री विद्या स्टोक्स का समर्थक और वीरभद्र सिंह के विरोधी गुट का नेता कहा जाता रहा है. 10 साल युवा कांग्रेस का अध्यक्ष रहने के बाद उन्होंने हमीरपुर जिले के नादौन से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते. इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. वह अब तक रिकार्ड समय साढ़े 6 साल तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. तीन साल पहले जब उन्हें इस पद से हटाया गया तो लगता था कि वीरभद्र सिंह गुट उन्हें अब मुख्यधारा में आने नहीं देगा, लेकिन चुनावों से पहले हाईकमान ने उन्हें प्रदेश चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया.

4- कांग्रेस ने उम्मीदवार चयन समिति में शामिल कर कद बढ़ाया

हिमाचल में जनता और संगठन में बढ़ती पकड़ और पिछले कामों को देखते हुए कांग्रेस ने इस बार भी सुक्खू पर भरोसा जताया. उन्हें उम्मीदवार चयन समिति में प्रमुख सदस्य बना कर उनका कद सबसे उपर रखा. यही नहीं उनका नाम पहले से ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रहा है. ऐसे में उन्होंने कड़ी मेहनत की और पूरे प्रदेश में प्रचार करने भी गए.

5- गृह जिले में 5 से 4 सीटें कांग्रेस को दिलाईं और जिले को भाजपा मुक्त बनाया

हालिया चुनाव में सुक्खू की चुनावी रणनीति का असर दिखा. उन्होंने अपने गृह जिले हमीरपुर में पहली बार पांच में चार सीटें कांग्रेस की झोली में डाल दीं. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता और हमीरपुर जिले को भाजपा मुक्त कर दिया. उनके साथ काफी तादाद में कांग्रेस के विधायक माने जा रहे हैं. यही कारण है कि उनका इस पद पर किए गए दावे में काफी दम है. उन्हें लोअर हिमाचल से होने का फायदा भी मिल सकता है क्योंकि आज तक कांग्रेस के शिमला संसदीय क्षेत्र, जो अपर हिमाचल के नाम से जाना जाता है से कभी कोई मुख्यमंत्री नहीं बनाया. इस बार सुखविंदर सिंह सुक्खू इस मौके को हाथ से गंवाना नहीं चाहते हैं.

 

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