BJP Vs SP: चुनावी नतीजों पर लगी थी 4 बीघा खेत की बाजी, सपा समर्थक को एक साल के लिए गंवानी पड़ी जमीन!

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नई दिल्ली। आपको याद होगा कि यूपी चुनाव के नतीजों के पहले अपनी-अपनी पार्टियों के जीत को लेकर दो लोगों द्वारा लगाई 4 बीघे जमीन वाली शर्त काफी वायरल हुई थी। अब जबकि नतीजे सामने आ चुके हैं, एक बार फिर से यह लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है। याद किजीए कि शर्त काफी कायदे वाले तरीके से लगाई गई थी, यानी कागज पर लिखा-पढ़ी के साथ। कौन थे वे दोनों, और शर्त में क्या था, आइए पहले जान लेते हैं..

cm yogi and akhilesh yadav

ये था पूरा मामला..

दरअसल, उत्तर प्रदेश समेत पांच चुनावी सूबों के नतीजों के ऐलान से पहले तो हम और आप क्या बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को पता नहीं होता कि किस राज्य में किसकी सरकार आने जा रही है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नतीजों से पहले दो लोग ऐसे थें, जिन्हें अपने सहज ज्ञान पर काफी भरोसा था। उनमें से एक हैं विजय सिंह। दूसरे हैं शेरअली शाह। इन दोनों को अपने-अपने अनुमानों को लेकर उतना ही भरोसा था जितना कि हमें कि इस धरती को नागराज संभाले हुए हैं। क्या था शर्त में आइए जानते हैं..

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4 बीघे जमीन को लेकर थी शर्त

अपनी जानकारी को लेकर दोनों शख्स आत्मविश्वास के सैलाब में इस कदर सराबोर हो चुके थें कि वे शर्त में 4 बीघा जमीन को लेकर शर्त लगा लिया। कागज पर पूरी लिखा-पढ़ी के साथ बिल्कुल ऐलानिया अंदाज में तुहरी फूंक कर उन्होंने एलान किया था कि अगर बीजेपी जीतेगी तो शेरअली शाह के 4 बीघा खेत पर एक साल तक विजय सिंह का कब्जा रहेगा। और यदि सपा की सरकार बनेगी तो विजय सिंह के 4 बीघा खेत पर एक साल तक शेरअली शाह का कब्जा रहेगा।

अपनी जानकारी को लेकर दोनों शख्स आत्मविश्वास के सैलाब में इस कदर सराबोर हो चुके थें कि वे शर्त में 4 बीघा जमीन को लेकर शर्त लगा लिया। कागज पर पूरी लिखा-पढ़ी के साथ बिल्कुल ऐलानिया अंदाज में तुहरी फूंक कर उन्होंने एलान किया था कि अगर बीजेपी जीतेगी तो शेरअली शाह के 4 बीघा खेत पर एक साल तक विजय सिंह का कब्जा रहेगा। और यदि सपा की सरकार बनेगी तो विजय सिंह के 4 बीघा खेत पर एक साल तक शेरअली शाह का कब्जा रहेगा।

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क्या कहता है कानून

आपको बता दें कि शर्त के लिए दोनों का शर्त का लिखितनामा भी तैयार किया गया था, यही नहीं, गांव के कई लोग गवाह भी बने थे। हालांकि भारतीय संविदा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार(धारा 30), ऐसे लिखितनामे का कोई कानूनी महत्व नहीं हैं, क्योंकि बाजी का करार शून्य होता हैं।

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