TIFRA LAND DISPUTE : High Court reprimands corporation for its haste, stay upheld
बिलासपुर, 15 नवंबर 2025। तिफरा सेक्टर-डी की 19.35 एकड़ भूमि को अवैध कॉलोनी बताकर नगर निगम द्वारा राजसात करने की कार्रवाई पर शुक्रवार को हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की सिंगल बेंच ने नगर निगम की जल्दबाज़ी पर सख्त नाराजगी जताते हुए कार्रवाई पर लगी रोक (स्टे) को यथावत रखा और राज्य शासन को भी मामले का पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पूरी प्रक्रिया साफ हुए बिना ऐसी बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई उचित नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी कि संबंधित 19 एकड़ भूमि का लेआउट वर्ष 2003 में विधिवत स्वीकृत हुआ था और वर्ष 2008 तक इसकी वैध खरीदी-बिक्री भी होती रही। चूंकि छत्तीसगढ़ कॉलोनी अधिनियम वर्ष 2012 में लागू हुआ, इसलिए इसे पुरानी स्वीकृत जमीन पर लागू करना पूरी तरह अवैध है। उनका कहना था कि 2008 के बाद इस क्षेत्र में कोई नया विकास कार्य नहीं हुआ, ऐसे में धारा 292-च और 292-छ का इस भूमि से कोई संबंध नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि निगम 50 साल पुरानी जमीन पर कब्जा करने की जल्दबाज़ी में अधिकारों का हनन कर रहा है।
निगम की कार्रवाई पर कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने विशेष रूप से यह मुद्दा उठाया कि निगम ने 4 नवंबर को स्वयं अदालत से जवाब दाखिल करने का समय मांगा था, 12 नवंबर को जवाब भी दे दिया, फिर भी यह जानते हुए कि 13 नवंबर को सुनवाई निर्धारित है, उसने उससे पहले ही जमीन को राजसात घोषित कर दिया और एसडीएम को राजस्व रिकॉर्ड बदलने के निर्देश जारी कर दिए। कोर्ट ने इसे प्रक्रिया के विपरीत कार्रवाई बताते हुए तत्काल रोक का आदेश दिया।
निगम की दलील और जांच समिति की रिपोर्ट
निगम ने अपनी दलील में कहा कि संबंधित कॉलोनी अवैध है और कॉलोनाइजर सुरेंद्र जायसवाल को तीन नोटिस जारी किए गए थे। दावा–आपत्ति की प्रक्रिया के बाद कलेक्टर की ओर से गठित दस सदस्यीय समिति ने छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 292-1, 292-च और 292-छ के तहत जमीन राजसात करने की सिफारिश की। निगम का दावा है कि कई खसरा नंबरों में अवैध प्लॉटिंग के प्रमाण मिले हैं। दूसरी ओर कॉलोनाइजर इन नोटिसों को हाईकोर्ट में चुनौती दे चुके हैं, जिन पर सुनवाई जारी है।
हाईकोर्ट में इसी दिन एक और अहम सुनवाई
इसी दिन कोर्ट में औद्योगिक प्रदूषण से श्रमिकों के बीमार होने के मामले में भी सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में 37 और उद्योगों को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए और कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर तय की है।
