Bilaspur: केंद्रीय गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के नवम दीक्षांत समारोह का शुभारंभ राज्यपाल अनुसुइया उइके ने किया कहा, दीक्षांत जीवन का आरंभ है

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Bilaspur: केंद्रीय गुरु घासीदास विश्वविद्यालय(Central Guru Ghasidas University) के नवम दीक्षांत समारोह का शुभारंभ (inauguration of the ninth convocation)राज्यपाल अनुसुइया उइके(Governor Anusuiya Uikey) ने किया। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार(Subhash Sarkar), शिक्षा न्यास के अध्यक्ष अतुल कोठारी(Atul Kothari), कुलाधिपति अशोक मोडक(Ashok Modak) विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के नवम दीक्षांत समारोह का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा, दीक्षांत जीवन का आरंभ है। आपको इसके बाद जीवन के नए क्षेत्रों में प्रवेश करना है। अध्ययन काल, जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। शिक्षा हमें संस्कारवान, सौम्य , और संयमी बनाता है। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा यह गौरव की बात है।

इस विश्वविद्यालय का नाम संत गुरु घासीदास बाबा के नाम पर है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां से पास आउट होने वाले छात्र-छात्राएं जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करेंगे, वे समाज तथा देश का नाम रोशन करेंगे। इससे पूर्व समारोह का केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार, शिक्षा न्यास के अध्यक्ष अतुल कोठारी, कुलाधिपति अशोक मोडक, सांसद अरुण साहू, कुलपति प्रोफेसर आलोक चक्रवाल ने संबोधित किया, समारोह में विभागअध्यक्ष , गणमान्य नागरिक, अभिभावक , छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

विभिन्न संकायों में सर्वोच्च अंक पाने वाली छात्राओं ने कहा, वे रक्षा- विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहती हैं। गोल्ड मेडल मिलने के बाद छात्राओं का चेहरा गर्व से दमक रहा था। वे दीक्षांत समारोह में नए परिधानों में सजकर पहुंची थी।

केंद्रीय गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के नवम दीक्षांत समारोह में अलग-अलग विषयों में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री से डेढ़ सौ छात्र छात्राओं को नवाजा गया, लगभग पचासी प्रतिभागियों को संकायो में सर्वोच्च अंक पाने के लिए गोल्ड मेडल दिया गया। ज्यादातर मेडल पाने वाली छात्राओं ने जीवन को सरल बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा रिसर्च करने का संकल्प लिया, फार्मेसी की छात्रा ने कहां की वह महंगी दवाइयों का जेनेरिक प्रोडक्ट बनाने का प्रयास में अपना जीवन समर्पित करना चाहती है। ताकि दवाइयां महंगी होने के कारण किसी को जीवन नहीं गंवाना पड़े। मेडल पाने वाली ज्यादातर छात्र रक्षा – विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में अपना बेस्ट देने की बात कही। वे कोसा की साड़ियों में सजी तथा लाल रंग की पगड़ी पहने हुए थी ।

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