BILASPUR BULLDOZER ACTION : निगम की बुलडोजर कार्रवाई पर विवाद, सिंधी समाज के व्यापारियों ने जताया आक्रोश, मेयर ने अफसरों को लगाई फटकार

BILASPUR BULLDOZER ACTION : Controversy over corporation’s bulldozer action, traders of Sindhi community expressed anger, mayor reprimanded officers
बिलासपुर। BILASPUR BULLDOZER ACTION शहर के ज्वाली नाला रोड पर नगर निगम द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई ने विवाद को जन्म दे दिया है। सोमवार को इस मामले में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे जब सिंधी समाज के व्यापारी अपनी शिकायत लेकर मेयर पूजा विधानी के कार्यालय पहुंचे। व्यापारियों का आरोप है कि निगम ने जानबूझकर सिर्फ सिंधी समाज के व्यापारियों को निशाना बनाया और उनकी दुकानों को गिरा दिया।
व्यापारियों की शिकायत पर मेयर पूजा विधानी ने नाराजगी जताते हुए भवन शाखा प्रभारी सुरेश शर्मा को चेंबर में बुलाकर जमकर फटकार लगाई। मेयर ने कहा, “क्या सिंधी समाज के लोगों को आप पागल समझते हैं?” उन्होंने अफसरों पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कहा कि वह खुद सिंधी समाज से आती हैं और इस तरह के भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेंगी।
BILASPUR BULLDOZER ACTION मेयर ने भवन शाखा के अधिकारी से तीखे लहजे में पूछा कि जब निर्माण हो रहा था, तब निगम के अधिकारी कहां थे? उस समय नोटिस क्यों नहीं दिया गया? इस पर सुरेश शर्मा ने जवाब दिया कि अवैध निर्माण पर पहले ही नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उसके बावजूद निर्माण जारी रहा, इसलिए कार्रवाई की गई।
व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने पिछले चार साल से नक्शा पास कराने के लिए आवेदन किया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं, कुछ दुकानदारों की दुकानें छोड़ दी गईं, जिससे भेदभाव की आशंका और गहरा गई।
इस विवाद के बीच मेयर पूजा विधानी ने निगम आयुक्त अमित कुमार से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन फोन रिसीव नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की। बाद में आयुक्त अमित कुमार ने मेयर को कॉल बैक किया और तीन बजे मिलने का समय तय किया।
BILASPUR BULLDOZER ACTION मेयर के पति अशोक विधानी भी व्यापारियों के समर्थन में पहुंचे और कहा कि कुछ दुकानदारों के पास नक्शा पास था, फिर भी बिना कोई मौका दिए उनकी दुकानें तोड़ी गईं। व्यापारियों ने बताया कि इस कार्रवाई में किसी को 30 लाख, तो किसी को 40 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है।
इस घटना ने नगर निगम की कार्यप्रणाली और फैसलों की पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।