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बड़ी खबर: जीपी सिंह से होगी 47 लाख के इनामी नक्सली पहाड़ सिंह के सरेंडर मामले में पूछताछ, पहाड़ के पास थे नक्सलियों के करोड़ों रुपए

रायपुर : आय से अधिक संपत्ति मामले में कार्रवाई झेल रहे ADG जीपी सिंह से पिछले चार दिनों से पूछताछ जारी है। एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है कि उनसे एक कुख्यात सरेंडर नक्सली पहाड़ सिंह के संबंध में भी पूछताछ होगी। कभी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मोस्टवांटेंड रहे इस नक्सली लीडर ने 3 साल पहले अगस्त 2018 में जीपी सिंह के सामने ही सरेंडर किया था। उस समय जीपी सिंह दुर्ग IG थे। जांच दल को सिंह के बंगले से कुछ ऐसे कागज मिले हैं, जिनमें पहाड़ सिंह के सरेंडर संबंधी बातें लिखी हुई हैं। बताया जा रहा है कि पहाड़ सिंह के पास नक्सलियों के करोड़ों रुपए थे, जिन्हें वह नोटबंदी के दौरान व्यापारियों से बदलने के लिए लाया था।

15 दिन बाद सरेंडर बताया
जीपी सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस टीम ने 23 अगस्त 2018 को एक प्रेस कान्फ्रेंस की। तत्कालीन दुर्ग IG सिंह ने इसमें पहाड़ को मीडिया के सामने पेश किया और उसके सरेंडर की बात कही, जबकि सभी को मालूम था, कि पहाड़ सिंह ने 12 अगस्त से पहले ही सरेंडर कर दिया था और उससे पुलिस पूछताछ कर रही है। उस पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पुलिस ने 47 लाख का इनाम रखा था। जीपी सिंह के बंगले से छापे के दौरान पहाड़ सिंह के पुलिस के गिरफ्त में आने की इस पूरी कार्रवाई से जुड़े कुछ कागज ACB की टीम को मिले हैं। इसमें पैसों का कुछ हिसाब भी लिखा हुआ है।

पहाड़ के पास 6 करोड़ रुपए होने की बात
पहाड़ सिंह नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का भी हिस्सा था। नक्सलियों की भर्ती अभियान का तो वह प्रमुख था ही, उनके पैसों का हिसाब भी रखता था। जब उसने सरेंडर किया उस समय नोटबंदी हो गई थी। नक्सली नोटबंदी की दिक्कत से जूझ रहे थे। ऐसे में नक्सलियों ने अपने पुराने नोट बदलने के लिए पहाड़ सिंह के जरिए बाहर भेजे थे। चर्चा थी कि पहाड़ ने 6 करोड़ रुपए कवर्धा, राजनांदगांव और दुर्ग के कुछ बड़े कारोबारियों को बदलने के लिए पुराने नोट दिए थे। एक खुफिया जगह पर पुलिस ने पहाड़ और इसके परिवार को हिरासत में ले रखा था।

पुलिस ये पता लगाने में जुटी रही कि आखिर 6 करोड़ किस-किस कारोबारी को दिए गए। हालांकि इस बात की पुष्टि बाद में कभी भी पुलिस ने नहीं की, लेकिन आरोप यह भी लगे कि पुलिस को पहाड़ सिंह ने उन सभी कारोबारियों के नाम बता दिए थे, जिन्हें रुपए दिए गए थे। पर यह मामला कभी सामने नहीं आया। अब यदि तत्कालीन IG जीपी सिंह से इस सरेंडर मामले में पूछताछ होगी तो जरूर कुछ नए और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।

कारोबारियों तक पहुंची थी पुलिस
पहाड़ के इस खुलासे के बाद यह कहा जाता है कि पुलिस की टीम संबंधित कारोबारियों तक भी पहुंची। वहां जाकर व्यापारियों को जब बताया गया कि पुलिस के पास ऐसे सबूत हैं कि उनके पास नक्सलियों का पैसा है तो कारोबारियों के होश उड़ गए। उन्होंने किसी भी तरह इस मामले को रफा-दफा कराने का प्रयास किया और वे सफल भी हुए, क्योंकि ऐसी किसी राशि और किसी कारोबारी का नाम फिर कभी नहीं आया। सुरक्षा के लिहाज से पहाड़ सिंह लंबे समय तक पुलिस लाइन में परिवार सहित रहता था, इस संबंध में उसने भी कभी कुछ नहीं कहा।

कौन है पहाड़ सिंह
कभी शिक्षक रहा पहाड़ सिंह राजनांदगांव जिले के फाफामार गांव का रहने वाला है। 1990 में उसकी मुलाकात देवरी दलम के कमांडर देवचंद और गोंदिया-बालाघाट डिवीजन के सचिव जगन से हुई। इन दोनों ने उसे आदिवासी अस्मिता के नाम पर नक्सलियों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। पहाड़ की भाषा अच्छी होने और कविताएं, लोकगीत रचने के कारण उसे युवाओं को दलम में भर्ती करने का काम दिया गया। वह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को पीपुल्स गोरिल्ला आर्मी में भर्ती कराने लगा। सन् 2000 में उसे देवरी दलम की कमान दे दी गई।

2006 में उसे मलाजखंड संयुक्त एरिया सचिव की जिम्मेदारी दी गई। उसने सरहदी इलाकों, चिल्फी, बोड़ला, रेंगाखार जैसे कई गांवों में युवाओं की टीम खड़ी की। वह सीधे तौर पर कभी नक्सली हमलों में सामने नहीं आया, लेकिन 2014 में महाराष्ट्र के सुरक्षा बलों पर हमले में उसका नाम आया। पहाड़ के तेज दिमाग को देखते हुए नक्सलियों ने अपने उस क्षेत्र के पैसों की जिम्मेदारी भी उसे सौंप रखी थी। पहाड़ ने सरेंडर करने के बाद पुलिस को नक्सली उगाही की बड़ी जानकारी भी पुलिस को दी कि किस तरह करोड़ों रुपए आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र के नेताओं तक भेजे जा रहे हैं।

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