रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकारी विभागों में वर्षों से बिना नियमित नियुक्ति के काम कर रहे हजारों अनियमित कर्मचारियों ने सरकार की बेरुखी से तंग आकर दिसंबर में राज्यव्यापी विशाल प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। यह निर्णय छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी फेडरेशन की हालिया बैठक में लिया गया।
फेडरेशन ने कहा कि राज्य के विभिन्न विभागों में पिछले 5 से 30 वर्षों से काम कर रहे कर्मचारी सरकारी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में लगे हैं, लेकिन आज भी उन्हें ‘अनियमित’ का दर्जा देकर उपेक्षित किया जा रहा है। वेतन में असमानता, नौकरी की असुरक्षा और आर्थिक तंगी से जूझ रहे ये कर्मचारी अब सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं।
फेडरेशन के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद साहू ने कहा कि चुनाव से पहले भाजपा ने इनकी समस्याओं के समाधान का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आए 17 महीने बीत चुके हैं और कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। “मोदी की गारंटी 2023” में कमेटी गठन का वादा किया गया था, पर आदेश में अनियमित कर्मचारियों का नाम तक शामिल नहीं किया गया।
संगठन की मुख्य मांगें हैं —
1. नियमितीकरण और बर्खास्तगी रद्द करना
2. न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना
3. संविदा कर्मचारियों को पूर्णकालिक बनाना
4. ठेका-अनुबंध प्रणाली समाप्त कर विभागीय समायोजन
फेडरेशन का कहना है कि 2017 से न्यूनतम वेतन की समीक्षा नहीं हुई, और संविदा वेतन अगस्त 2023 के बाद नहीं बढ़ा। कई विभागों में महीनों से वेतन रुका है, और पुराने कर्मचारियों को हटाया जा रहा है।
जुलाई 2025 में कर्मचारियों ने अपनी 11 सूत्रीय मांगों के साथ मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था। अगस्त में जिला स्तर पर एकदिवसीय हड़ताल और अक्टूबर में अनिश्चितकालीन धरने हुए, लेकिन सरकार की चुप्पी जारी रही। अब दिसंबर में होने वाला यह राज्यव्यापी प्रदर्शन सरकारी सेवाओं को प्रभावित कर सकता है।
