BIG BREAKING : एग्जिट पोल के जरिए शेयर मार्केट को प्रभावित करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ..
BIG BREAKING: The matter of influencing the stock market through exit polls reached the Supreme Court.
नई दिल्ली. एग्जिट पोल के जरिए कथित तौर पर शेयर मार्केट को प्रभावित करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए तमाम मीडिया हाउसेस और सर्वे कंपनियों के ख़िलाफ़ जांच की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के समापन के तुरंत बाद एग्जिट पोल प्रसारित करने और कथित तौर पर निवेशकों को प्रभावित करने वाले मीडिया घरानों और उनकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ जांच की मांग की गई है। जिससे उन्हें 31 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
याचिका में कहा गया है कि मीडिया घरानों ने 1 जून को चुनाव का अंतिम चरण समाप्त होने के तुरंत बाद एग्जिट पोल पर बहस शुरू कर दी और आम निवेशक को 3 जून (सोमवार) को बाजार खुलने तक शेयर बाजार में निवेश करने के लिए मनाने की कोशिश की। जिसके कारण शेयर बाज़ार में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिली। लेकिन जब वास्तविक नतीजे घोषित हुए तो इसमें गिरावट आ गई।
याचिकाकर्ता ने क्या कहा? –
याचिका दायर करने वाले वकील बीएल जैन ने कहा, कि 4 जून को मतगणना हुई और शेयर बाजार क्रैश हो गया, जिससे आम निवेशकों को 31 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है।
वकील वरुण ठाकुर के माध्यम से याचिका दायर की गई याचिका में कहा गया है कि बाजार में गिरावट के कारण 31 लाख करोड़ रुपये का नुकसान समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को प्रभावित करेगा। किसी भी समाचार और टीवी डिबेट के प्रसारण से किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष या पूर्वाग्रह का आभास नहीं होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से अनियंत्रित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एक कॉमर्शियल इंडस्ट्री के रूप में काम कर रहा है।
याचिका में की गई जांच की मांग –
याचिकाकर्ता ने कहा कि भविष्यवाणी अथवा एग्जिट पोल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 ए और भारत के चुनाव आयोग द्वारा 2 अप्रैल, 2024 को जारी दिशा-निर्देशों का पूर्ण उल्लंघन है। याचिका में तमाम मीडिया हाउस और एग्जिट पोल का सर्वे करने वाली कंपनियों के विरुद्ध सीबीआई, ईडी, सीबीडीटी, सेबी और एसएफआईओ से जांच कराने की मांग की गई है।
याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत की संसद ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सुचारू संचालन और चुनावों के दौरान चुनाव प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 लागू किया। लेकिन एग्जिट पोल के माध्यम से, मीडिया घरानों ने कॉर्पोरेट घरानों के साथ मिलकर चुनाव परिणामों में हेरफेर करना शुरू कर दिया है।