
Bastar Dussehra : 75-day long mystical festival, Amit Shah invited
जगदलपुर। जगप्रसिद्ध बस्तर दशहरा और मुरिया दरबार को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। आयोजन समिति ने इस साल के विशेष आयोजन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आमंत्रित किया है।
बस्तर सांसद एवं दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप के नेतृत्व में मांझी-चालकी और मेबरिन नई दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें मां दंतेश्वरी की तस्वीर भेंट की गई और दशहरा एवं मुरिया दरबार में आने का औपचारिक निमंत्रण सौंपा गया।
क्यों अनोखा है बस्तर दशहरा?
भारत में जहां दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक है, वहीं बस्तर का दशहरा बिल्कुल अलग और रहस्यमयी माना जाता है।
यह न तो रामलीला से जुड़ा है और न ही रावण दहन से।
यह पर्व मां दंतेश्वरी की आराधना, तांत्रिक विधियों, जनजातीय परंपराओं और गहरे आध्यात्मिक रहस्यों से जुड़ा हुआ है।
यह दुनिया का सबसे लंबा दशहरा है, जो पूरे 75 दिनों तक चलता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इस पर्व की शुरुआत 13वीं शताब्दी में बस्तर के राजा पुरुषोत्तम देव ने माता दंतेश्वरी की आज्ञा से की थी।
मान्यता है कि यह पर्व बस्तर राज्य की रक्षा के संकल्प से जुड़ा है।
इसमें देवी का रथ, रात्रि पूजन और गुप्त तांत्रिक अनुष्ठान जैसे रहस्यमयी पहलू शामिल हैं।
75 दिनों में 13 अनुष्ठान
हरेली अमावस्या से शुरू होकर बस्तर दशहरा में 13 प्रमुख अनुष्ठान किए जाते हैं। इनमें –
पट जात्रा (लकड़ी लाने की परंपरा)
देवी का निवेदन
काछिन गादी
रथारोहण
मावली परघाव
और अंत में बहराम देव की विदाई शामिल है।
विशेष रूप से मावली यात्रा सबसे रहस्यमयी मानी जाती है, जिसमें देवी की प्रतिमा रात के अंधेरे में जंगल से लाई जाती है और इसमें केवल चुनिंदा पुरोहित ही शामिल हो सकते हैं।
जनजातीय पुजारियों की अहम भूमिका
बस्तर दशहरा में ब्राह्मण पुजारियों की जगह जनजातीय पुजारियों गुड़िया, सिरहा, मांझी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। माना जाता है कि रात्रि अनुष्ठानों के जरिए अदृश्य शक्तियों को प्रसन्न किया जाता है, जो बस्तर की रक्षा करती हैं।