BANGLADESH VIOLENCE : हादी की मौत से बांग्लादेश में आग, एंटी-इंडिया उबाल से चुनावी माहौल विस्फोटक

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BANGLADESH VIOLENCE: Hadi’s death sparks fire in Bangladesh, anti-India fervor creates explosive election atmosphere


नई दिल्ली।
पड़ोसी देश बांग्लादेश एक बार फिर गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल की चपेट में है। एंटी-इंडिया कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देशभर में भड़के हिंसक प्रदर्शनों ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है, बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में भी नया तनाव पैदा कर दिया है।

हादी को 12 दिसंबर को एक चुनावी अभियान के दौरान सिर में गोली मारी गई थी। गंभीर हालत में उसे सिंगापुर एयरलिफ्ट किया गया, जहां इलाज के दौरान एक हफ्ते बाद उसकी मौत हो गई। मौत की खबर फैलते ही ढाका, चट्टोग्राम, राजशाही समेत कई शहरों में हिंसा भड़क उठी।

अंतरिम यूनुस सरकार पर आरोप है कि उसने शुरुआती दौर में भारत-विरोधी प्रदर्शनों को खुली छूट दी, लेकिन अब वही प्रदर्शन सरकार के लिए गले की फांस बनते दिख रहे हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि आगामी संसदीय चुनावों से पहले उबाल पूरी तरह आउट ऑफ कंट्रोल होने की आशंका जताई जा रही है।

चट्टोग्राम में प्रदर्शनकारियों ने भारत के उप-उच्चायुक्त के आवास पर पथराव किया, जबकि राजशाही में भारतीय राजनयिक कार्यालय की ओर मार्च की कोशिश हुई, जिसे पुलिस ने रोका। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में भारतीय सहायक उच्चायोग के पास पत्थरबाजी के दृश्य साफ नजर आए। हालात को देखते हुए राजशाही और खुलना में भारतीय वीजा आवेदन केंद्र अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं।

हिंसा सिर्फ भारत-विरोध तक सीमित नहीं रही। प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग के दफ्तरों को भी निशाना बनाया और भारत में शरण लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने की मांग की। हादी 2024 में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए आंदोलन का बड़ा चेहरा माना जाता था। उसकी मौत ने सत्ता-विरोधी और कट्टरपंथी ताकतों को नया मुद्दा दे दिया है।

ढाका में हालात उस वक्त और बिगड़े जब सैकड़ों प्रदर्शनकारी भारतीय राजनयिक परिसरों के बाहर जुटने लगे। पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। इस दौरान नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) और छात्र संगठनों के कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतरे। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हादी के हमलावर भारत भाग गए हैं और इसी बहाने एंटी-इंडिया नारे लगाए गए।

स्थिति तब और गंभीर हो गई जब ढाका में प्रोथोम आलो और डेली स्टार जैसे बड़े अखबारों के दफ्तरों पर हमला किया गया। तोड़फोड़, आगजनी और पत्रकारों को बंधक बनाने जैसी घटनाओं ने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विरोध अब अराजकता में बदल चुका है।

भारत ने बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर कड़ा रुख अपनाते हुए बांग्लादेश के उच्चायुक्त को तलब किया है। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि चरमपंथी तत्वों द्वारा फैलाए जा रहे झूठे नैरेटिव को भारत सिरे से खारिज करता है और अंतरिम सरकार अब तक न तो निष्पक्ष जांच कर पाई है और न ही ठोस सबूत साझा किए गए हैं।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच बांग्लादेश में 12 फरवरी 2026 को 13वें संसदीय चुनाव कराने का ऐलान हो चुका है। उसी दिन राष्ट्रीय जनमत संग्रह (जुलाई चार्टर) भी प्रस्तावित है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चुनाव से पहले भावनाओं को भड़काने की यह राजनीति हालात को और विस्फोटक बना सकती है।

मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने हादी की मौत को “दिल दहला देने वाला” बताते हुए संयम की अपील की है, लेकिन सड़कों पर उबाल थमता नजर नहीं आ रहा। सवाल यही है कि क्या अंतरिम सरकार हालात संभाल पाएगी या चुनावी राजनीति की आग बांग्लादेश को और अस्थिर कर देगी।

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