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BANGLADESH HINSA : क्या है जमात-ए-इस्लामी ? जिसे बैन करने पर शेख हसीना को इस्तीफा देने और देश छोड़ने पर किया मजबूर ..

BANGLADESH HINSA: What is Jamaat-e-Islami? Banning which forced Sheikh Hasina to resign and leave the country.

बांग्लादेश में आगजनी और भीषण हिंसा हो रही है. हालात बेकाबू हो चुके हैं. देशव्यापी कर्फ्यू को दरकिनार करते हुए प्रदर्शनारी सोमवार को बांग्लादेश के कई इलाकों में मार्च के लिए इकठ्ठा हुए थे. प्रदर्शनकारी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच झड़पें शुरू हुईं जिसने देखते ही देखते भीषण हिंसा का रूप ले लिया. माना जा रहा है कि बीते दिनों बांग्लादेश सरकार की ओर से कट्टरपंथी दल जमात-ए-इस्लामी पर लगाए गए बैन के कारण ही छात्रों का यह प्रदर्शन हिंसा में बदल गया.

प्रदर्शनकारी इतने उग्र हो गए कि उन्होंने सरकारी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया और पीएम हाउस के भीतर घुस गए. वीडियो में प्रदर्शनकारियों को पीएम हाउस के भीतर घुसकर मौज-मस्ती करते हुए देखा जा रहा है. कुछ ऐसी ही तस्वीरें कुछ साल पहले श्रीलंका से सामने आई थीं. इतना ही नहीं कुछ लोगों को बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीब की मूर्ति पर चढ़कर हथौड़ा चलाते भी देखा गया.

शेख हसीना सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को किया बैन

दरअसल शेख हसीना सरकार ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी, इसकी छात्र शाखा और इससे जुड़े अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह कदम बांग्लादेश में कई सप्ताह तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया था. कहा जा रहा है कि सरकार की इस कार्रवाई के बाद ये संगठन शेख हसीना सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं.

सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगाते हुए कट्टरपंथी पार्टी पर आंदोलन का फायदा उठाने और लोगों को हिंसा के लिए बरगलाने का आरोप लगाया था. जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेतृत्व वाले 14 पार्टियों के गठबंधन की मीटिंग में लिया गया था. इस मीटिंग के दौरान कथित रूप से सहयोगी पार्टियों ने भी कट्टर पार्टी पर बैन लगाने की अपील की थी.

जमात-ए-इस्लामी क्या है?

जमात-ए-इस्लामी एक राजनीतिक पार्टी है, जिसे बांग्लादेश में कट्टरपंथी माना जाता है. यह राजनीतिक पार्टी पूर्व पीएम खालिदा जिया की समर्थक पार्टियों में शामिल है. जमात पर प्रतिबंध लगाने का हालिया निर्णय 1972 में ‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का दुरुपयोग’ के लिए प्रारंभिक प्रतिबंध के 50 साल बाद लिया गया है.

जमात-ए-इस्लामी की स्थापना 1941 में ब्रिटिश शासन के तहत अविभाजित भारत में हुई थी. 2018 में बांग्लादेश हाई कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने जमात का पंजीकरण रद्द कर दिया था. इसके बाद जमात चुनाव लड़ने से अयोग्य हो गई थी.

हिन्दुओं पर हमले में शामिल जमात-ए- इस्लामी

बता दें कि जमात-ए- इस्लामी का बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमला करने में भी नाम आता रहा है. मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जमात-ए-इस्लामी और छात्र शिविर लगातार बांग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाते रहे हैं. बांग्लादेश में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों का आकलन है कि साल 2013 से 2022 तक बांग्लादेश में हिन्दुओं पर 3600 हमले हुए हैं. इसमें जमात-ए-इस्लामी का कई घटनाओं में रोल रहा है.

शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश छोड़ा

फिलहाल हालात ये हैं कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और ढाका छोड़ दिया है. हिंसा के बीच बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान ने प्रेस कान्फ्रेंस कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘आपकी मांगें हम पूरी करेंगे. तोड़ फोड़ से दूर रहिये. आप लोग हमारे साथ चलेंगे तो हम स्थिति बदल देंगे. मारपीट अराजकता संघर्ष से दूर रहिए. हमने आज सभी पार्टी नेताओं से बात की है.’ उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सेना अंतरिम सरकार बनाएगी.

 

 

 

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