होली के अवसर पर सभी लोग खूब रंग खलते हैं और जमकर गुलाल उड़ाते हैं। लेकिन, कई बार ऐसा भी होता है कि ये रंग आपके लिए परेशानी का सबब बन जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन रंगों में मौजूद हानिकारक तत्वों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इन्हीं में से एक अस्थमा है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे में होली के मौके पर यदि अनजाने में अस्थमा से पीड़ित किसी मरीज के मुंह में रंग चला जाए तो उसे अस्थमा अटैक भी आ सकता है।वहीं होलिका दहन की वजह से भी अस्थमा के मरीजों में खतरा और बढ़ जाता है। दरअसल, होलिका दहन के दिन लोग अलाव जलाने के लिए एक साथ जुटते हैं। इसकी वजह से इस दिन बहुत सारा धुआं और राख हवा में उड़ती है। ये छोटे-छोटे धुएं के कण फेफड़ों में जाकर सांस लेना मुश्किल कर देते हैं। इसलिए अस्थमा के मरीजों को होली के दौरान सावधान रहने की जरूरत होती है। ऐसे में आज हम आपको कुछ बातें बताएंगे जिन्हें ध्यान में रखकर अस्थमा के मरीज भी होली को हैप्पी और सेफ होली बना सकते हैं। आइए जानते हैं।
सूखे रंगों से दूरी बनाएं
होली के अवसर पर गुलाल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। लेकिन आपको बता दें कि ये अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि सूखे रंग में मौजूद कण हवा में काफी समय तक तैरते हैं जोकि आपके फेफड़ों में जा सकते हैं जिससे आपको सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसलिए आप इस बात का ध्यान रखें कि आप पर कोई सूखा रंग ना डाल दें।
नेचुरल रंगों का करें यूज
होली खेलने के लिए हमेशा केमिकल रंगों के बजाय नेचुरल रंगों का इस्तेमाल करें। हालांकि, इनके प्रयोग से भी अस्थमा का डर बना रहता है। इसलिए होली खेलते समय ध्यान रखें।
अस्थमा के मरीज इनहेलर रखें साथ
अस्थमा के मरीजों को होली खेलते समय अपना इनहेलर हमेशा पास रखना चाहिए। ऐसा करने से आपको सिंथेटिक रंगों की वजह से होने वाली बेचैनी से बचने में मदद मिलेगी। हालांकि, ऐसा करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
बच्चों पर खास ध्यान रखने की जरूरत
होली के रंग अस्थमा से पीड़ित बच्चों को बहुत जल्दी अपना शिकार बनाते हैं। इसलिए अगर आपके बच्चे को अस्थमा है तो उसका खास ध्यान रखें। माता-पिता इस बात कि ध्यान रखें कि वो सूखे रंगों के संपर्क में ना आएं।
डॉक्टर से करें सपंर्क
यदि होली खेलते समय आपकी सांस फूलने लगे या फिर आपको बेचैनी सा महसूस हो तो ऐसे में घरेलू उपचारों को अपनाने की बजाए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।