
रायपुर। एमजी रोड स्थित श्री जैन दादाबाड़ी में जारी चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला के अंतर्गत विराग मुनि ने रविवार को पर्यूषण के दूसरे दिन पर्यूषण के 5, श्रावक-श्राविकाओं के 6 और साल के 11 कर्तव्यों के बारे में बताया। धर्म के स्वरूप को उन्होंने जिन उदाहरणों के साथ समझाया, उन्हें सुनकर धर्मसभा में बैठे ज्यादातर श्रावक-श्राविकाओंं की आंखें छलक आई। चातुर्मास के अंतर्गत यहां श्री विनय कुशन मुनि म.सा. के सानिध्य में विभिन्न तपस्याओं और साधना-आराधना का क्रम जारी है।
प्रवचन सभा में विराग मुनि ने आगे कहा, सारा धर्म एक तरफ है। साधर्मिक भक्ति एक तरफ है। प्रभु संभवनाथ ने इसी के जरिए तीर्थंकर कर्म का बंध किया। मुनिश्री ने अलग-अलग प्रसंगों के जरिए इसका महत्व समझाया, जिसे सुनकर धर्मसभा में मौजूद श्रावक-श्राविकाओं की आंखें नम हो उठीं। उन्होंने कहा कि जैन भाइयों के लिए हमें पूरे उदार मन से काम करना चाहिए। निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा करनी चाहिए। जिस व्यक्ति के पुण्य का उदय हुआ हो, उसी के हाथों ये शुभ काम होता है। अगर आप सोच रहे हैं कि दूसरों की सहायता करने से मेरी संपत्ति चली जाएगी, तो वैसे भी आप कौन सा पैसे बचा रहे हैं। शादी-ब्याह में सिर्फ दिखावे के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं। वहीं समाज के किसी व्यक्ति की मदद करनी हो तो सारी उदारता वहीं खत्म हो जाती है। मदद करने से पहले भी हम 100 बार विचार करते हैं। उन्होंने चातुर्मास समिति समेत पूरे श्रीसंघ ने आह्वान किया है कि तन, मन, धन से साधर्मिक भक्ति करें।
शास्त्र जिस दिन नहीं चलेंगे
उस दिन संसार चलाना दुभर
मुनिश्री ने कहा, शास्त्रों के आधार पर शासन चल रहा है। जिस दिन शास्त्र नहीं रहेंगे, संसार चलाना दुर्लभ हो जाएगा। वहीं जिन आगम, जिन प्रतिमा का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि इनके प्रति हमेशा सच्ची श्रद्धा रखनी चाहिए। पंथ, परंपरा से ऊपर उठकर सिर्फ जैन धर्म और महावीर प्रभु के बताए मार्ग पर चलें। आत्मकल्याण करें। प्रभु के जन्मोत्सव पर गरीब बस्तियों में जाकर मिठाई बांटें। जिन शासन की प्रभावना करें।
4 को धूमधाम से मनाया
जाएगा महावीर जन्मोत्सव
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पारस पारख, महासचिव नरेश बुरड़ और कोषाध्यक्ष अनिल दुग्गड़ ने बताया कि रविवार को श्री धर्मनाथ जिनालय और दादाबाड़ी में साधु भगवंत श्री विनय कुशल मुनि म.सा. को बारसा सूत्र बोहराने का लाभ कोयंबटूर निवासी कांतिलाल, शिखरचंद गोलेछा परिवार ने लिया। इसके अलावा 5 ज्ञान की बोली भी लगाई गई। मति ज्ञान संपत्तराज पारख (नैवेद्य) परिवार, श्रुत ज्ञान भिखमचंद, पुष्पा देवी, मनोज, कविता कोठरी परिवार, अवधि ज्ञान आनंदमल, बसंत सेठिया परिवार, मनहपर्यव ज्ञान चुकी देवी, चंदनमल, प्रकाशचंद, अशोक सुराना परिवार और कैवल्य ज्ञान का लाभ गौतमचंद, राजमल सकलेचा परिवार ने लिया। श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया और कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली ने बताया कि गुरुदेव को मूल सूत्र सोमवार को बोहराया जाएगा। पर्यूषण के दौरान प्रतिदिन इसी सूत्र का वाचन किया जाएगा।