नई दिल्ली। महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए आदेश जारी कर कहा कि आधार कार्ड अब जन्मतिथि प्रमाण पत्र के रूप में मान्य नहीं होगा। इस संबंध में एक आदेश भी जारी किया गया है। आदेश में कहा गया है कि आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि किसी भी प्रमाणित दस्तावेज के आधार पर तय नहीं होती है, यही कारण है कि इसे आधिकारिक प्रमाण पत्र के रूप में नहीं स्वीकार किया जा सकता।
यूपी सरकार ने जारी किया आदेश
नियोजन विभाग के विशेष सचिव अमित सिंह बंसल ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि आधार कार्ड में जन्मतिथि का कोई प्रमाणित दस्तावेज संलग्न नहीं होता, इसलिए इसे जन्मतिथि प्रमाण के रूप में मान्य नहीं माना जा सकता है।
सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी सरकारी प्रक्रिया में नियुक्ति, प्रमोशन, सेवा रजिस्टर संशोधन या अन्य संवेदनशील दस्तावेज में आधार को जन्मतिथि का प्रमाण न माना जाए। इसके लिए जन्म प्रमाण-पत्र, हाईस्कूल मार्कशीट, नगर निकाय या स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी प्रमाण-पत्र जैसे अन्य मूल दस्तावेज लगाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि आधार नागरिकता का प्रमाण पहले से नहीं माना जाता है। यानी नागरिकता संबंधी दस्तावेज में इसका उपयोग नहीं किया जाता है।
महाराष्ट्र में आधार कार्ड पर जारी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र होंगे रद
उधर, महाराष्ट्र में भी आधार कार्ड को लेकर राज्य सरकार ने ऐसा ही फैसला लिया है। महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने गुरुवार को राज्यभर में केवल ”आधार कार्ड” के आधार पर जारी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों पर तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया। बावनकुले ने कहा कि सरकार फर्जी प्रमाणपत्रों को बर्दाश्त नहीं करेगी। केवल आधार कार्ड के आधार पर जारी किया गया कोई भी जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र यदि संदिग्ध पाया जाता है तो उसे तुरंत रद किया जाना चाहिए। पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई जानी चाहिए।
यह कदम जाली दस्तावेजों का उपयोग कर जारी किए जा रहे प्रमाण पत्रों को लेकर चिंताओं के बीच उठाया गया है। कहा गया है कि 11 अगस्त 2023 के संशोधन के बाद नायब तहसीलदारों द्वारा जारी किए गए सभी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र रद कर दिए जाएंगे। स्पष्ट किया गया है कि केवल आधार कार्ड के आधार पर जारी किए गए प्रमाण पत्रों को दोषपूर्ण माना जाएगा, क्योंकि केंद्रीय दिशा निर्देशों के तहत इस दस्तावेज को जन्म या जन्म स्थान के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
