
उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम के बजट में कटौती के सरकार के फैसले की आलोचना की है। गुरुवार को लोकसभा में बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना महामारी के वक्त रोजगार के लिए मनरेगा स्कीम ही गरीबों का सहारा बनी, ऐसे में इस स्कीम के बजट को घटाना सही नहीं है।उन्होंने मनरेगा के तहत काम करने पर 15 दिन के भीतर मजदूरी दिएजाने समेत कई सुझाव भी सरकार को दिए हैं।
सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा, मनरेगा का कुछ साल पहले कई लोगों ने मजाक उड़ाया था लेकिन इसी स्कीम ने कोरोना और लॉकडाउन के दौरान करोड़ों प्रभावित गरीब परिवारों की मदद की। इसके बावजूद मनरेगा के लिए बजट आवंटन में लगातार कटौती की जा रही है। इस साल मनरेगा का बजट साल 2020 की तुलना में 35 फीसदी कम है जबकि बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है
सोनिया गांधी ने कहा, बजट में कटौती से कामगारों के भुगतान में देरी होती है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बंधुआ मजदूरी जैसा माना है। केंद्र सरकार से मेरा आग्रह है कि मनरेगा के लिए उचित आवंटन किया जाए। साथ ही काम के 15 दिनों के भीतर कामगारों को मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। अगर मजदूरी के भुगतान में देरी होती है तो कानूनी तौर पर मुआवजे देना सुनिश्चित हो। इसके साथ ही राज्यों की वार्षिक कार्य योजनाओं को बिना किसी देरी के तुरंत निर्धारित किया जाए। सोनिया गांधी ने कहा कि ग्राम सभा के सोशल ऑडिट पर भी समझौता नहीं किया जाए जाना चाहिए।
सरकार की ओर से दिया गया जवाब
सोनिया गांधी की ओर से उठाए गए सवालों पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने मनरेगा की जियोटैगिंग पर काम किया। अब मनरेगा के मजदूरों के बैंक अकाउंट में पैसा सीधे ट्रांसफर होता है। उन्होंने कहा कि 2013-14 तक जो बजट तय किया जाता था वह भी इस्तेमाल नहीं किया जाता था लेकिन मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा एक साल में दिए हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी ने जो बातें रखी हैं वो तथ्यों से परे हैं। 2013-14 में सिर्फ 33 हजार करोड़ बजट था, जो एक लाख 12 हजार करोड़ तक पहुंचाया गया है।