बस्तर में स्पेशल फोर्स के 2100 पदों के लिए 53 हजार आवेदन; सूबेदार बनने 1.48 लाख युवा तैयार

रायपुर। नक्सल प्रभावित बस्तर में एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाने एक खास फोर्स तैयार की जा रही है। इस नई फोर्स का नाम होगा बस्तर फाइटर्स। नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में सबक सिखाने और फाइटर बनने के लिए युवाओं में गजब का जोश दिख रहा है। इस हौसले का सबूत इस स्पेशल फोर्स की भर्ती प्रक्रिया में आए आवेदनों की संख्या बता रही है। बस्तर फाइटर्स बल के आरक्षक पद के लिए 53 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं। आने वाले महीने मई में दूसरे सप्ताह से इस फोर्स के लिए फिजिकल टेस्ट शुरू हो जाएंगे।मख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नक्सलियों के खात्मे और बस्तर में पुलिस का बेहद अंदरूनी क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाने के लिहाज से इस फोर्स को तैयार किया जा रहा है। इस फोर्स में युवा भी बस्तर के ही जिलों से लिए जा रहे हैं। जो बस्तर के मिट्टी, जंगल और हालातों को बखूबी समझते हैं। सरकार का मानना है कि इससे पुलिस में बस्तर के युवाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा और बस्तर पुलिस को नई धार मिलेगी। बस्तर फाइटर्स में आरक्षक के 2100 पदों पर भर्ती की जानी है। बस्तर संभाग के सातों जिले बस्तर , दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर व कोंडागांव युवाओं की भर्ती होगी
इन पदों के लिए 1 लाख 48 हजार आवेदन
छत्तीसगढ़ पुलिस के उपनिरीक्षक , प्लाटून कमांडर और सूबेदार के 975 रिक्त पदों पर भर्ती की जानी है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए थे। पूरे प्रदेश से इन पदों के लिए 1 लाख 48 हज़ार से अधिक आवेदन मिले हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलिस डिपार्टमेंट के अफसरों को निर्देश दिए हैं कि इन आवेदकों की शारीरिक नापजोख और प्रमाण-पत्रों की जांच मई के चौथे सप्ताह में पूरी करें। मई के पहले सप्ताह से अभ्यर्थी अपना प्रवेश पत्र छत्तीसगढ़ पुलिस की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकेंगे।
नक्सलियों ने किया है विरोध
बस्तर फाइटर्स भर्ती से नक्सली भी टेंशन में हैं। करीब 5 महीने पहले छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के संगठन पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी ने प्रेस नोट जारी किया । प्रेस नोट के माध्यम से नक्सलियों ने बस्तर फाइटर्स की भर्ती को बंद करने की बात कही है। माओवादियों ने कहा है कि, उच्च जाति के लोगों को उच्च स्तर की नौकरी दी जाती है। निचले तबके के युवाओं को मूर्ख बना कर उन्हें अपने ही मां-बाप, भाई के खिलाफ खड़े करवा कर नरसंहार जैसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए बस्तर फाइटर्स में भर्ती किया जा रहा है। नक्सलियों ने प्रेस नोट में लिखा कि बस्तर के अमूल्य संसाधनों को अडानी, अंबानी जैसे बड़े कॉर्पोरेट घरानों को सौंपने के लिए ही यहां के आदिवासी, गैर आदिवासी, दलितों को नक्सल उन्मूलन के नाम से आपस में लड़वाकर मरवा रहे हैं।