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महामना अटलबिहारी बाजपेयी का आज जन्म दिवस…वे शरीर से नहीं है लेकिन उनके कार्य है, वे हमारे बीच ही है

छत्तीसगढ़ राज्य सहित देश की समूची जनता के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री औऱ गाँव-गाँव को शहर से जोडऩे वाले चिर आदरणीय महामना, महामानव, संवेदनशील कवि मन मेरे आदर्श, मेरे गुरु श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी का आज जन्मदिवस है।
वे शरीर से नहीं है, कोई भी नही हुआ है न रहेगा लेकिन कर्म अमर रहते है। नश्वर शरीर के पंचतत्व में विलीन हो जाने के बावजूद भी कोई भी व्यक्ति पूरे के पूरा कभी भी याददाश्त से विलीन नही होता। अटल जी भी ऐसे ही व्यक्तित्व है जिनको इस देश की सादिया अविस्मृत नही कर पायेगी।

वे राजनीति में 13 दिन,13 महीने औऱ 4 साल 1 माह के तीन बार प्रधानमंत्री रहे। 22 -23 दलो के एनडीए के वे सर्वेसर्वा थे। विभिन्न दल, भिन्न मत, और अलग अलग व्यक्तियों के होने के बावजूद वे बेफिक्र प्रधानमंत्री रहे। इस देश मे हर प्रधानमंत्री ने देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अटल बिहारी वाजपेयी से पहले तक देश मे केवल 1977 में विपक्षी दल – जनता पार्टी ही सत्ता में आई थी लेकिन महज ढाई साल में ये दल दलदल में बदल गया। देश को उस जमाने मे राष्ट्रसंघ में राजभाषा को स्थापित करने वाला विदेश मंत्री के रूप में अटलबिहारी बाजपेयी जी मिले थे। आगे अंतराल में वे देश के विपक्षी दलों के सर्वमान्य नेतृत्व कर्ता बने।
वे पक्ष के तो आदरणीय थे ही विपक्ष में भी वे सम्मानीय रहे। इसका कारण था कि वे सदन से बाहर एक नेक इंसान थे,राजनीतिज्ञ नही थे। शायद उनका कवि मन होना ही उनको सर्वश्रेष्ठ बना ले जाता था।
मैं उन्हें साक्षात देखा,सुना, मिला हूं। उनकी मुलाकाते आज भी उन्हें मेरे आंखों के समक्ष एक स्नेहिल मुस्कान लिए खड़ी देखती है।वे देश के ग्रामीणों के बड़े अग्रज रहे। उन्होंने अपने जीवनकाल में गाँव के हालातों को महसूस किया रहा होगा इसी कारण उन्होंने गाँव को शहर से जोडऩे के लिए सड़क मार्ग को अपना मूल उद्देश्य बनाया। प्रधानमंत्री अष्टकोणीय सड़क निर्माण के जरिये उन्होंने देश के चार महानगरों के साथ महत्वपूर्ण शहरों को भी जोडऩे की जो योजना बना कर मूर्त रूप दिया उसके लिए चौड़ी सड़को के साथ साथ गाँव से शहर आते लोग कृतज्ञता तो आज भी जाहिर करते है।

आज महामना का जन्मदिवस है, वे शरीर से नहीं है लेकिन उनके कार्य है, वे हमारे बीच ही है।

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