नई दिल्ली। यूपी के आगरा और मऊ के अलावा कोलकाता, बेंगलुरु और एनसीआर इलाकों में बीते दिनों समाजवादी पार्टी यानी सपा के मुखिया अखिलेश यादव के करीबियों पर इनकम टैक्स के छापों में करोड़ों की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। आरोपियों के यहां से तमाम दस्तावेज भी मिल हैं। कैश में 1.12 करोड़ बरामद हुए हैं। इन सबसे साफ हो रहा है कि अखिलेश यादव ने अपने पार्टी के लोगों से ये क्यों कहा था कि वे संभलकर फोन पर बातचीत करें। दरअसल, अखिलेश यादव को शायद डर लग रहा है कि कहीं इनकम टैक्स के अफसरों का रुख उनकी तरफ भी न हो जाए। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर उत्पीड़न और सियासी फायदे के लिए छापों का आरोप लगाया था। वहीं, इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक छापों से पता चला कि अखिलेश के सहयोगी ज्यादातर कंस्ट्रक्शन का बिजनेस करते हैं और उन्होंने फर्जी खर्चे दिखाकर करोड़ों कमाए। खाली बिल बुक, स्टांप पेपर, दस्तखत किए हुए चेक वगैरा इसके सबूत हैं।
इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक कंपनी के निदेशकों के पास 86 करोड़ से ज्यादा बेहिसाब रकम मिली। एक आरोपी ने 68 करोड़ की बेहिसाब रकम की बात मानी और टैक्स देने की बात लिखकर दी है। पिछले कुछ साल में आरोपियों ने 150 करोड़ का टर्नओवर दिखाया, लेकिन इसके दस्तावेज नहीं मिले। वहीं, फर्जी कंपनियां बनाकर भी रकम को इधर-उधर करने के सबूत मिले हैं। शेल कंपनियों के जरिए 12 करोड़ का लेन-देन किया गया। बेनामी प्रॉपर्टी में भी 3.5 करोड़ लगाए जाने के दस्तावेजी सबूत इनकम टैक्स विभाग को मिले हैं। कोलकाता में भी आरोपियों का मददगार शख्स है। उसने फर्जी कंपनियों के शेयर के जरिए 408 करोड़ हासिल किए। इन कंपनियों के असुरक्षित कर्ज के जरिए 154 करोड़ इधर-उधर करने के सबूत भी छापों में मिले हैं
आरोपियों ने बेंगलुरु में एक ट्रस्ट बनाया था। इसके जरिए भी 80 लाख रुपए का फर्जी लेन-देन किया गया। इस ट्रस्ट से केरल के मरकाजू साकूआफतही सुसानिया ट्रस्ट और मरकज नॉलेज सिटी ट्रस्ट को पैसे दिए गए। केरल के इन दोनों ही ट्रस्ट के रिश्ते खाड़ी देशों से हैं। यानी आरोपियों ने विदेशी मुद्रा नियमन कानून यानी FEMA का भी उल्लंघन किया है। ट्रस्ट के लोगों ने कैपिटेशन फीस के बदौलत 10 करोड़ और खर्च के मद में 4.8 करोड़ दिखाकर भी इस पर इनकम टैक्स की चोरी की। पिछले 3 साल में ये सारा खेल होना छापों से उजागर हुआ है।