
नई दिल्ली। लोकसभा सदस्यों ने 2000 से 2019 तक भारत में वायु प्रदूषण पर कम से कम 368 प्रश्न उठाए हैं, जिनमें से 200 से अधिक 2016 या बाद में उठाए गए हैं, जिसमें फसल अवशेष (पराली) जलाना सबसे आम स्रोत के रूप में उभरा है। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लॉन्च किया गया ‘एयरिंग डिफरेंसेस रीडिंग द पॉलिटिकल नैरेटिव ऑन एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन इंडिया, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) के वर्किं ग पेपर’ ने इस तथ्य का हवाला दिया कि 200 से अधिक 368 प्रश्नों में से 2016 के बाद पूछे गए और कहा गया, यह संसद में हाल के वर्षों में राजनीतिक जुड़ाव में तेज वृद्धि को दर्शाता है।
वर्किं ग पेपर नवंबर 2019 में संसद के ऊपरी और निचले सदनों में हुए वायु प्रदूषण पर लगभग 11 घंटे की चर्चाओं का सावधानीपूर्वक पठन है। जहां तक इन सवालों में प्रदूषण के स्रोतों का उल्लेख है, जबकि उद्योग, बिजली संयंत्र और वाहन 2016 से पहले लक्षित मुख्य स्रोत थे, हाल के वर्षों में फसल अवशेष जलाना रुचि का सबसे आम स्रोत के रूप में उभरा है, हालांकि वाहनों और उद्योगों पर कुछ ध्यान दिया जा रहा है।