मदकू द्धीप पहुंचे RSS प्रमुख ने हरिहर आश्रम में की गणेश पूजा, शमी के पौधे लगाए…धर्मांतरण मुद्दे पर रिपोर्ट सौंपेंगे कार्यकर्ता

बिलासपुर। मुंगेली जिले के बैतलपुर स्थित मदकू द्वीप में संघ के तीन दिवसीय घोष वर्ग प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने के लिए RSS प्रमुख मोहन भागवत पहुंच गए हैं। यहां उन्होंने हरिहर आश्रम पहुंचकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की। इस दौरान उन्होंने पौराणिक भूमि में शमी के पौधे भी लगाए। दोपहर भोजन के बाद मोहन भागवत संघ पदाधिकारियों की बैठक लेंगे। इसके बाद 2.30 बजे घोष वर्ग के आयोजन में शामिल होंगे।
सुबह रायपुर से रवाना होने के बाद मोहन भागवत 11. 45 बजे मदकू द्वीप पहुंचे। उन्होंने मांडुक्य ऋषि के भव्य प्रतिमा का दर्शन एवं उनकी प्राचीन कथाओं को हरिहर आश्रम के संत रामस्वरूप के द्वारा चर्चा कर हरिहर आश्रम कुदिया में अखंड रामायण का दर्शन भी किए। इससे पहले भाजपा के दिग्गज नेताओं के साथ ही संघ पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया।

मुंगेली जाने से पहले रायपुर के पंडरी स्थित गुरुद्वारे में टेका मत्था।
इस अवसर पर उनके साथ विशेष रूप से शांता राम, दीपक विष्पूते, प्रेम सुधार, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल विधानसभा नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक सांसद अरुण साव, विधायक शिवरतन शर्मा, दयालदास बघेल, रजनीश सिंह कृष्णमूर्ति बांधी सहित रायपुर मुंगेली बिलासपुर जिले के भाजपा पदाधिकारी संघ परिवार के पदाधिकारी सहित संघ के स्वयंसेवक मौजूद रहे। दोपहर में भोजन के बाद मोहन भागवत संघ पदाधिकारियों से मुलाकात कर बैठक लेंगे। इसके बाद संघ के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।

मदकूद्वीप पहुंचने पर संघ पदाधिकारियों ने किया स्वागत
धर्मांतरण पर रख सकते हैं बात
संघ प्रमुख मोहन भागवत इस दौरान विभिन्न समाज प्रमुखों के साथ बैठक भी करेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में बढ़ते धर्मांतरण के साथ पर्यावरण सुरक्षा व ग्रामीण विकास को लेकर वे अपनी बात रख सकते हैं। धर्मांतरण के मुद्दे पर संघ के स्थानीय पदाधिकारियों से रिपोर्ट भी लेंगे। इस आयोजन के दौरान कार्यकर्ता सम्मेलन भी होगा। इसमें भी मोहन भागवत मुख्य वक्ता रहेंगे।

संघ प्रमुख के आगमन से पहले पहुंचे नेता
एक नजर में मदकू द्धीप
शिवनाथ तट पर स्थित पौराणिक महत्व वाला यह द्वीप मांडुक्य ऋषि की तपोस्थली है, यहां के तटवर्ती क्षेत्रों में आदि मानवों के रहने के प्रमाण भी मिले है। पुरातत्व विभाग को ईसवी सन के शुरूआती दौर के गुप्तकाल और 11वीं सदी के कल्चूरी काल की मूर्तियां भी मिली है। शिवनाथ नदी के तट पर पौराणिक सहेजे यह ऐतिहासिक धार्मिक स्थल मनोरम पर्यटन स्थल भी है