CG HIGH COURT: बिलासपुर। जिले के तखतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रात भर शव रखे जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने स्वास्थ्य सचिव के शपथपत्र को असंतोषजनक बताया। साथ ही कहा कि सीसीटीवी के अभाव में शव को अस्पताल में रखने का उचित कारण नहीं हो सकता। डिवीजन बेंच ने तीन सप्ताह के भीतर नए भवन में स्वास्थ्य केंद्र शुरू करने कहा है। स्वास्थ्य सचिव ने शपथपत्र में बताया कि 11 दिसंबर की शाम करीब 5.30 बजे एक सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति का शव पुलिस ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया था। जांच के बाद चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम अगले दिन किया जाना था। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि शव को कपड़े में लपेटकर, ओपीडी और मरीजों की बैठक से दूर सीसीटीवी निगरानी वाले कोने में रखा गया था। बता दें कि इस संबंध में मीडिया में आई खबरों को स्वत: संज्ञान में लेकर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है।
कोर्ट को बताया गया कि, शवगृह (मॅचूरी) सीएचसी से करीब 1.5 किलोमीटर दूर है, वहां सीसीटीवी कैमरा नहीं होने के कारण शव को सीएचसी में ही रखा गया। इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, यह स्वास्थ्य सचिव का यह जवाब संतोषजनक प्रतीत नहीं होता। स्वास्थ्य विभाग ने यह भी स्वीकार किया कि, तखतपुर सीएचसी का मौजूदा भवन पुराना और जर्जर है, नया भवन बनकर तैयार है और उसमें बेहतर स्थान, आधुनिक सुविधाएं, सीसीटीवी निगरानी उपलब्ध होगी। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि जब नया भवन तैयार है, तो उसे चालू करने में देरी क्यों।
हाईकोर्ट ने एक और अहम मुद्दे पर ध्यान देते हुए कहा कि, राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में रविवार को ओपीडी बंद रहती है। इस पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को अलग से नया शपथपत्र दाखिल करने के निर्देश दिएहैं। हाईकोर्ट ने कहा कि, जनस्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी लापरवाही को हल्के में नहीं लिया जा सकता। मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को तय की गई है, जिसमें नए भवन के संचालन, शवगृह व्यवस्था और रविवार ओपीडी को लेकर की गई कार्रवाई की समीक्षा होगी।
