Swaraj Kaushal Death : नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति और बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज के पिता स्वराज कौशल का आज (4 दिसंबर 2025) को निधन हो गया. 73 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. दिल्ली बीजेपी ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए देश को यह दुखद खबर दी. स्वराज कौशल देश के प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ताओं में गिने जाते थे. वे मिजोरम के पूर्व राज्यपाल भी रहे और सार्वजनिक जीवन में उनकी पहचान बेहद ईमानदार और तेज सोच वाले प्रशासक की रही. बीजेपी ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार आज शाम 4:30 बजे लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जाएगा. राजनीति और कानून दोनों क्षेत्रों में अपनी मजबूत छाप छोड़ने वाले स्वराज कौशल का जाना देश के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है.
37 साल की उम्र में बन गए थे गवर्नर
स्वराज कौशल सिर्फ एक ‘पति’ की पहचान तक सीमित नहीं थे. उनका अपना कद बहुत बड़ा था. वे कानून के जानकार थे. पूर्वोत्तर भारत में शांति लाने वाले दूत थे और देश के सबसे युवा राज्यपालों में से एक थे. आज उनके जाने से बांसुरी स्वराज ने अपने पिता और मेंटर दोनों को खो दिया है. स्वराज कौशल ने बहुत कम उम्र में वो मुकाम हासिल किया जो बड़े-बड़े नेताओं को नसीब नहीं होता. साल 1990 में उन्हें मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया था. उस वक्त उनकी उम्र महज 37 साल थी. देश के इतिहास में वे सबसे कम उम्र में गवर्नर बनने वाले शख्स थे. वे 1990 से 1993 तक इस पद पर रहे. इसके अलावा वे 1998 से 2004 तक हरियाणा से राज्यसभा सांसद भी रहे. सुप्रीम कोर्ट में वे सीनियर एडवोकेट थे और कई हाई-प्रोफाइल केस लड़े.
मिजोरम में शांति लाने वाले ‘हीरो’
स्वराज कौशल को सिर्फ पदों के लिए नहीं बल्कि उनके काम के लिए याद किया जाता है. पूर्वोत्तर भारत में शांति बहाली में उनका रोल ऐतिहासिक था. वे मिजो शांति समझौते (Mizo Peace Accord) के मुख्य आर्किटेक्ट माने जाते हैं. जब मिजोरम में विद्रोह चरम पर था, तब उन्होंने अंडरग्राउंड मिजो नेता लालडेंगा के साथ बातचीत शुरू की. उनकी सूझबूझ से ही दशकों पुराना संघर्ष खत्म हुआ और शांति लौटी.
इमरजेंसी में कोर्ट रूम में शुरू हुई थी लव स्टोरी
सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल की प्रेम कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है. यह दो अलग विचारधाराओं का मिलन था. सुषमा जी जनसंघ (अब बीजेपी) की विचारधारा से जुड़ी थीं, जबकि स्वराज कौशल सोशलिस्ट बैकग्राउंड से आते थे. दोनों की मुलाकात 1975 में इमरजेंसी के दौरान हुई. दोनों ही युवा वकील थे और जॉर्ज फर्नांडिस की लीगल डिफेंस टीम का हिस्सा थे. कोर्ट में केस लड़ते-लड़ते दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे. परिवार की रजामंदी और विचारधारा की दीवारें गिराकर दोनों ने 13 जुलाई 1975 को शादी कर ली. जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने खुद उन्हें आशीर्वाद दिया था. सुषमा जी अक्सर कहती थीं कि उनकी कामयाबी के पीछे स्वराज कौशल का सबसे बड़ा हाथ है. आज यह जोड़ी फिर से एक हो गई.
