नई दिल्ली। डीपफेक या मिलावटी ऑडियो-वीडियो से किसी व्यक्ति की छवि और सामाजिक जीवन को नुकसान से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने नया कानून लाने की तैयारी शुरू कर दी है। अब ट्विटर (X), फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर डाले जाने वाले मिलावटी या कृत्रिम कंटेंट पर चेतावनी लेबल लगाना अनिवार्य होगा।
सरकार का कहना है कि इस कदम से यूजर्स को यह पता चल सकेगा कि जो वीडियो या ऑडियो वे देख या सुन रहे हैं, वह असली नहीं है। यह नियम खासतौर पर फर्जी खबरों, चुनावी गलत सूचनाओं और चरित्र हनन के मामलों को रोकने के उद्देश्य से लाया जा रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इस संबंध में मसौदा जारी कर दिया है, जिस पर स्टेकहोल्डर्स से 15 दिनों के भीतर प्रतिक्रिया मांगी गई है। इसके बाद इस नियम को आधिकारिक रूप से लागू किया जा सकता है।
मंत्रालय के अनुसार, मिलावटी कंटेंट की पहचान और लेबलिंग की जिम्मेदारी इंटरमीडिएरीज़ (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) की होगी। यदि कोई प्लेटफॉर्म इस नियम का पालन नहीं करता, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी।
इसके साथ ही अब किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से कंटेंट हटाने का आदेश केवल संयुक्त सचिव या डीआईजी रैंक के अधिकारी ही दे सकेंगे, ताकि प्रक्रिया पारदर्शी और जवाबदेह रहे।
कब से लागू होगा:
इस नियम पर प्राप्त प्रतिक्रियाओं की समीक्षा के बाद, अगले 15 दिनों में इसे लागू किया जा सकता है। सरकार का उद्देश्य है कि यह व्यवस्था आगामी चुनावों से पहले प्रभावी रूप से लागू हो जाए, ताकि डीपफेक से होने वाले दुष्प्रचार और सामाजिक नुकसान को
रोका जा सके।