
नई दिल्ली : दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बुधवार को जनसुनवाई के दौरान खुद पर हुए हमले के बाद बहुत ही भावुक पोस्ट लिखा है। लिखा कि महिलाओं में तकलीफों से लड़ने की दोहरी ताकत होती है। उन्हें अपने आप को साबित करने के लिए अनगिनत परीक्षाएं देनी पड़ती हैं। मैं भी तैयार हूं। मैं जब कॉलेज में थी, तब पापा ने मुझे कार चलाने के लिए दी। एक दिन बड़ा एक्सीडेंट हो गया। मैं डर गई और मुझे दुबारा कार को हाथ लगाने से डर लगने लगा। तब पापा ने कहा कि जीवन में दुर्घटनाएँ होती रहती हैं, डरकर रुकना नहीं है। आप रास्ते पर चलना नहीं छोड़ सकती।
सीएम रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा कि मैं जब कॉलेज में थी, तब पापा ने मुझे कार चलाने के लिए दी। एक दिन बड़ा एक्सीडेंट हो गया। मैं डर गई और मुझे दुबारा कार को हाथ लगाने से डर लगने लगा। तब पापा ने कहा कि जीवन में दुर्घटनाएं होती रहती हैं। डरकर रुकना नहीं है। आप रास्ते पर चलना नहीं छोड़ सकती।
आज उनकी वही सीख फिर याद आ रही है। कल फिर एक दुर्घटना हुई, लेकिन मैं दिल्लीवासियों के हितों के लिए लड़ना कभी नहीं छोड़ सकती। मेरे जीवन का हर क्षण और शरीर का हर कण दिल्ली के नाम है। मैं इन सभी अप्रत्याशित प्रहारों के बावजूद दिल्ली का साथ कभी नहीं छोड़ूंगी।
वैसे भी, महिलाओं में तकलीफों से लड़ने की दोहरी ताकत होती है। उन्हें अपने आप को साबित करने के लिए अनगिनत परीक्षाएं देनी पड़ती हैं। मैं भी तैयार हूं! अब जनसुनवाई केवल मेरे घर पर ही नहीं, दिल्ली की हर विधानसभा में होगी। आपकी मुख्यमंत्री, आपके द्वार।
उन्होंने अपने पोस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की एक कविता का भी जिक्र किया।
“बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा”