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KHABAR CHALISA SUNDAY SPECIAL तिरछी नजर : ईडी के घेरे में आएंगे कुछ और…

KHABAR CHALISA SUNDAY SPECIAL Sneak peek: Some more people will come under the scanner of ED…

 

ईडी जल्द ही कुछ और प्रभावशाली लोगों पर कार्रवाई कर सकती है। इसका संकेत मिलते ही एक आईएएस ने लाइजिंग तेज कर दी है, वो अपने विभाग के मंत्री को साधने में जुटे हैं। दरअसल, अफसर के खिलाफ घोटाले में संलिप्तता के पुख्ता सबूत हैं।

अफसर को भरोसा है कि मंत्रीजी दिल्ली में अपने संपर्कों का प्रयोग कर उन्हें ईडी की संभावित कार्रवाई से बचा सकते हैं। मगर मंत्रीजी का हाल ये है कि अपने करीबी लोगों का थाने से ट्रक नहीं छुड़वा पाए थे। ऐसे में वो अफसर की कितनी मदद कर पाएंगे, यह कहना अभी मुश्किल है।

वैसे तो अफसर कांग्रेस सरकार में ताकतवर थे इस सरकार में भी थोड़े समय में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। अफसर ईओडब्ल्यू-एसीबी से तो बच गए, लेकिन ईडी से बच पाएंगे या नहीं, यह देखना है।

ईमानदारी महंगा शौक है..

 

ईमानदार होना भी अब गुनाह हो चला है। इसका उदाहरण लोगों की सेहत से से जुड़े विभाग में देखने को मिल रहा है। विभाग में महिला आईएएस अफसर की पहचान एक ईमानदार और कर्मठ अफसर की है। वो जिलों में भी अपनी कार्यशैली से साबित कर चुकी है।

विभाग में दागी-बागी टाइप के लोगों का जमावड़ा है। ये सभी महिला अफसर के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। विभाग के कुछ अफसरों के खिलाफ ईओडब्ल्यू-एसीबी ने कार्रवाई की है। महिला अफसर के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है, कि वो विभाग की अंदरूनी बातें सामने ला रही हैं। काफी कानाफूसी हो रही है, लेकिन अब तक दागियों को सफलता नहीं मिल पाई है। आगे क्या होता है,यह तो प्रशासनिक फेरबदल के बाद ही पता चलेगा।

उपभोक्ता फोरम में मंत्री की दखल

खाद्य मंत्री दयालदास बघेल के गृह जिले बेमेतरा में दो साल बाद भी उपभोक्ता फोरम का कोर्ट प्रारंभ नहीं हो पाया। बताते हैं कि पिछली सरकार ने जिसे उपभोक्ता फोरम का सदस्य नियुक्त किया गया था उसे मंत्रीजी घोर विरोधी माना जाता है।

संघ परिवार और कांग्रेस परिवार से ताल्लुक रखने वाले ओमप्रकाश चंद्राकर की नियुक्ति से मंत्री बघेल खफा हैं। मंत्री और सदस्य के विवाद के चलते बेमेतरा के उपभोक्ता फोरम के केस दुर्ग में सुने जा रही हैं। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने उपभोक्ता फोरम शुरू कराने के लिए पैसा आवंटित किया। कार्यालय भी दिला दिए थे जिसे कलेक्टर ने दवाब में निरस्त कर दिया। उपभोक्ताओं के हितों के लिए फोरम राजनीतिक विवाद के कारण कई जगह इसी तरह अटके हुए हैं।

एनएमडीसी दफ्तर को फिर बाहर ले जाने की तैयारी

नगरनार में स्थापित एनएमडीसी के कारखाने को लेकर कई प्रकार के विवाद छिड़ गए हैं। एनएमडीसी को निजी हाथों में देने का विवाद पहले से ही चल रहा है। अब एनएमडीसी के रायपुर सहित कई जगहों के आफिस को हैदराबाद शिप्ट करने की तैयारी चल रही है। मौखिक आदेश के बाद सरकारी आदेश भी हो गए हैं। प्रदेश के कई खदानों का संचालन एनएमडीसी कर रहा है। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ की उपेक्षा लगातार बढ़ती जा रही है। बड़े अफसर भी छत्तीसगढ़ आना भी बंद कर दिए हैं। भाजपा के भी कई नेता एनएमडीसी की गतिविधि से नाराज हैं। लेकिन एक बड़े उद्योगपति की रूचि इस काम में अधिक होने के कारण कोई मुंह नहीं खोल पा रहे हैं।

अटकलों से परेशान मंत्री

प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों से दो मंत्री काफी परेशान हो जाते हैं। खबर चलने के बाद मंत्रिमंडल से बाहर होने के डर में सारे रूटीन के काम दौरा छोड़कर कुर्सी बचाने की कसरत में लग जाते हैं। कुर्सी बचाने की अंदरूनी कोशिश में थोड़ा बहुत पैसा है वह भी खर्च हो जाता है। कई अटकी फाइलें हैं उस पर फैसला रूक जाता है। विभाग के अधिकारी मंत्रिमंडल की फेरबदल की खबरों से अधिक परेशान हो जाते हैं। पिछले दिनों एक अफसर ने मीडिया के बंधुओं से अनुरोध किया कि मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबरों से विभाग का काम प्रभावित होता है। सूत न कपास जुलाहों में लट्टम-लट्ठी की कहावत चरितार्थ होती है।

प्रशासन में भी वैश्य समाज

हाल में हुए प्रशासनिक फेरबदल की सूची में अधिकांश वैश्य समाज के अधिकारियों को पदोन्नति और अच्छा विभाग मिलने की चर्चा मंत्रालय के गलियारों में रही। लगभग एक दर्जन अधिकारियों के विभाग बदले गए और एक दर्जन अधिकारी भी फेरबदल का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों की बात नहीं बन पाई है। जिन अधिकारियों को तवज्जों दी गई है उसमें सत्ता के गलियारे में पूछ-परक बड़ी है। कई अधिकारियों के रिस्तेदार पार्टी में प्रभावशाली पदों में हैं इसलिए भी विवाद के बाद जगह मिल गई। सरकार के साथ ही साथ प्रशासन ने भी वैश्य समाज के अधिकारियों का एक नया समीकरण तैयार हो रहा है।

रायपुर-बिलासपुर एक और हाईवे

रायपुर और बिलासपुर मार्ग में होने वाली परेशानी को देखते हुए एक नया रास्ता तलाशा जा रहा है। रायपुर-बिलासपुर हाईवे में बढ़ती परेशानी को कम करने नये मार्ग का प्रस्ताव केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य सरकार भी अपने संसाधन से नया हाईवे बनाने तैयार है। अधिकारियों को डीपीआर तैयार करने कहा गया है। जमीन अधिग्रहण में आने वाली प्रशासनिक परेशानी दूर करने कई नियम बदल दिए गए हैं। देखते हैं चुनाव के पहले कुछ काम हो पाता है कि नहीं?

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