
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने अपने दस्तावेजों और पत्राचार में अब ‘कुलपति’ की जगह ‘कुलगुरु’ शब्द का उपयोग करने का निर्णय है। इस निर्णय को सिर्फ एक भाषाई बदलाव की तरह नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा, समावेशिता और लैंगिक तटस्थता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तौर पर पेश किया गया है।
जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने पिछले दिनों हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव रखा कि विश्वविद्यालय के डिग्री प्रमाणपत्रों और अन्य शैक्षणिक पत्रों पर ‘कुलगुरु’ शब्द का प्रयोग किया जाए।
नाम में बदलाव का कुलपति ने रखा था प्रस्ताव
उनका मानना है कि ‘कुलगुरु’ शब्द संस्कृत में अधिक सटीक, अर्थपूर्ण और लैंगिक दृष्टि से तटस्थ है। एकेडमिक प्रमुख की उस भूमिका को भी बेहतर दर्शाता है जिसमें वह ज्ञान देने वाले ‘गुरु’ के रूप में कार्य करता है। जेएनयू के एक अधिकारी ने कहा, कई दिनों से इस पर विचार चल रहा था और बाद में कुलपति ने स्वयं इसका प्रस्ताव रखा था। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक कार्यालय से भी एक आदेश जारी किया गया है। इसमें सभी डिग्रियों और पत्राचार पर कुलपति के स्थान पर कुलगुरु शब्द के इस्तेमाल करने के आदेश दिए गए हैं।