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रायपुर को मिला एक और अत्याधुनिक निजी अस्पताल – ITSA Hospitals, CM साय ने किया भव्य उद्घाटन

रायपुर, विधानसभा रोड स्थित अंबुजा मॉल के सामने छत्तीसगढ़ के हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर में एक और चमकता सितारा जुड़ गया है। शुक्रवार, 23 मई 2025 को राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी ने 350 बेड वाले ITSA Hospitals का भव्य शुभारंभ किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष माननीय डॉ. रमन सिंह जी और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल जी, श्री अरुण साव जी, श्री विजय बघेल जी, श्री बृजमोहन अग्रवाल जी, श्री लखनलाल देवांगन जी, श्री टंकराम वर्मा जी, श्री चरणदास महंत जी, श्री राजेश मूणत जी, श्री मोतीलाल साहू जी, श्री पुरंदर मिश्रा जी, श्री गुरु खुशवंत सिंह जी, श्री अनुज शर्मा जी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

उद्घाटन समारोह में ITSA Hospitals के निदेशकगण – श्री सुनील बालानी, डॉ. राजकुमार बरनवाल, डॉ. सचिन पिटलावार और श्रीमती विनिता बालानी ने अस्पताल की खासियतों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि 350 बेड वाले इस अस्पताल को तीन खंड में बांटा गया है. एक खंड पूरी तरह नवजात बच्चों का होगा. 175 बेड वाले इस खंड में बच्चों और नवजात से जुड़ी हर तरह की बीमारी का श्रेष्ठ प्रशिक्षित डॉक्टरों की टीम करेगी. 175 बेड का दूसरा खंड व्यस्कों का होगा, जहां कॉर्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, ऑर्थोपैडिक्स, गैस्ट्रो, कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का इलाज होगा. अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि आयुष्मान योजना के तहत इलाज में मरीजों से सिर्फ बीमारी के पैकेज में इलाज किया जाएगा. एक रुपये का भी अतिरिक्त खर्च नहीं होगा. अस्पताल की ओर से आईसीयू सुविधाओं से युक्त एँबुलेंस चलाए जाएंगे. पहली बार एक खंड वेलनेस सेंटर का भी रखा गया है, जहां हेल्थ चेकअप, रोबोटिक रिहैबिलिटेशन, फिजियोथेरेपी जैसी सुविधा मिलेगी. आईसीयू मरीजों के परिजन के लिए 108 रिक्लाइनर चेयर कम बेड की भी व्यवस्था की गई है, जहां वो आराम कर सकते हैं. इलाज कराने आए मरीजों के परिजनों की हॉस्पिटैलिटी का भी यहां खास ध्यान रखा गया है.

ये विशेषताएं, जो इस अस्पताल को सेंट्रल इडिया का सर्वश्रेष्ठ अस्पताल बनाती हैं

कॉर्डियोलॉजी – एंजियोप्लास्टी के लिए आईवस और रोटाप्रो मशीन लगाई गई है. कई बार एंजियोप्लास्टी अलग अलग कारणों से फेल हो जाती है. लेकिन इन मशीनों से एंजियोप्लास्टी के रिजल्ट अच्छे होते हैं. ये मशीन पहले दिन से काम करेगी.

क्रिटिकल केयर- सर्वश्रेष्ठ प्रकार की हाई एंड मशीन लगाई गई है. मरीजों के तमाम वाइटल्स ऐप के जरिए इलाज कर रहे डॉक्टर के मोबाइल फोन पर रियल टाइम में भेजती रहेगी. आईसीयू के स्टाफ भी इसके जरिए मॉनिटर करते रहेंगे. इससे मरीजों की देखरेख बहुत बेहतर तरीके से हो सकेगी. आईसीयू में चौबीसों घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर रहेंगे.

न्यूरो सर्जरी – कार्ल जैस का स्टेट ऑफ द आर्ट microscope लगाया गया है. यह दुनिया का सबसे एडवांस माइक्रोस्कॉप माना जाता है. इससे ब्रेन ट्यूमर (tumor) की सर्जरी बहुत आसान हो जाती है. ये मशीन भी यहां लगाई गई है.

ब्रेन स्ट्रोक यूनिट- इस अस्पताल में लकवा के मरीज के लिए अलग से यूनिट तैयार की गई है. पैसरालिसिस अटैक वाले मरीज को अगर 4 से 6 घंटे के भीतर यहां पहुंचा दिया जाता है तो उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.

रिहैब सेंटर- रोबोटिक रिहैब स्थापित किया गया है. पैरालिसिस, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और हार्ट के पेशेंट की सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए ये बेहद उपयोगी है. इससे रिकवरी बहुत फास्ट हो जाती है. सेंट्रल इंडिया में किसी अस्पताल के पास रोबोटिक रिहैब सेंटर नहीं हैं. लेकिन इस अस्पताल में ये सुविधा शुरू की गई है. .

NICU- -90 बेड का है एनआईसीयू तैयार किया गया है, जो सेट्रल इंडिया का सबसे बड़ा है. यहां जो मशीन लगाई गई है, वह आईएनओ की है. इन मशीन की खासियत यह है कि अगर 500 ग्राम तक का कोई नवजात भी है तो भी उसे सर्वाइव कराया जा सकेगा. यह बर्थ एस्फिक्सिया birth asphyxia नवजात के लिए ये वरदान जैसा है. ये मशीन पूरे भारत में सिर्फ चार जगह लगाई गई है. सेंट्रल इंडिया में सिर्फ इसी अस्पताल में हैं.

स्पीच थेरेपी, ऑटेस्टिक थेरेपी, न्यूरो साइकोलॉजिस्ट की व्यवस्था भी की गई है, जो सेंट्रल इंडिया की एक बेहतर सुविधा रहेगी.

ITSA Hospitals की स्थापना चिकित्सा तकनीक और मानवता के समन्वय से सेंट्रल इंडिया को हेल्थकेयर के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाने की सोच के साथ की गई है।

निदेशक मंडल का कहना है कि “यह अस्पताल न सिर्फ एक चिकित्सा केंद्र है, बल्कि यह विश्वास, सुविधा, और सेवा का प्रतीक बनेगा।”

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