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INDIA ANTI TERROR DELEGATION : सीमा पार आतंकवाद पर एकजुट हुआ भारत, 7 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जाएगा विदेश यात्रा पर, दुनिया को देगा ‘जीरो टॉलरेंस’ का संदेश

INDIA ANTI TERROR DELEGATION : India united on cross-border terrorism, 7-member all-party delegation will go on a foreign tour, will give the message of ‘zero tolerance’ to the world

नई दिल्ली, 17 मई 2025। INDIA ANTI TERROR DELEGATION भारत ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन हासिल करने के लिए एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद केंद्र सरकार ने सात सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, कतर और यूएई जैसे देशों के दौरे पर भेजने का निर्णय लिया है। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य आतंकवाद के प्रति भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का स्पष्ट संदेश दुनिया तक पहुँचाना है।

राजनीति से ऊपर उठकर दिखी एकजुटता

INDIA ANTI TERROR DELEGATION संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए कहा, “सबसे अहम पलों में भारत एकजुट खड़ा होता है। यह राजनीति से ऊपर और मतभेदों से परे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।” उन्होंने बताया कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं, जो 22 मई के बाद अपने विदेशी दौरे पर रवाना होंगे।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख चेहरे –

शशि थरूर (कांग्रेस)

रविशंकर प्रसाद (भारतीय जनता पार्टी)

संजय कुमार झा (जेडीयू)

बैजयंत पांडा (भाजपा)

कनीमोई करुणानिधि (DMK)

सुप्रिया सुले (NCP)

श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना)

सांसदों की प्रतिक्रिया

शशि थरूर ने कहा, “जब बात राष्ट्रीय हित की हो, तो मैं कभी पीछे नहीं हटता। यह मेरे लिए सम्मान की बात है।”

INDIA ANTI TERROR DELEGATION सुप्रिया सुले ने अपने संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्री रिजिजू और विदेश मंत्रालय का आभार जताते हुए कहा कि वे इस ज़िम्मेदारी को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करती हैं।

वहीं AAP सांसद संजय सिंह ने कहा, “देश और सेना के साथ हैं, लेकिन अगर सरकार के लोग गड़बड़ी करेंगे, तो जनता को सच्चाई बताएंगे।”

सरकार का उद्देश्य

INDIA ANTI TERROR DELEGATION भारत सरकार इस यात्रा के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, हालिया हमलों और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाए जाने के मामलों को प्रमुखता से उठाएगी। इससे भारत की सुरक्षा नीति को वैश्विक समर्थन मिलने की उम्मीद है।

 

 

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