NAXALITE LEADER JAIRAM SELFIE : बेटी की उम्र की नक्सली से इश्क, एक सेल्फी ने किया कुख्यात नक्सली नेता जयराम का पर्दाफाश

NAXALITE LEADER JAIRAM SELFIE: In love with a Naxalite of daughter’s age, a selfie exposed the notorious Naxalite leader Jairam
जगदलपुर। तीन दशकों तक आंध्र प्रदेश और ओडिशा में हिंसा का पर्याय बने कुख्यात नक्सली नेता रामचंद्र रेड्डी उर्फ चलपति की पहचान, उसकी पत्नी के साथ एक सेल्फी के कारण उजागर हो गई। बेटी की उम्र की नक्सली अरुणा के साथ उसके प्रेम संबंधों ने न केवल संगठन में विवाद खड़ा किया, बल्कि उसके जीवन का अंत भी निर्धारित कर दिया।
अरुणा से प्रेम और संगठन का विरोध
2014 में, चलपति ने संगठन के एक छोटे कैडर की नक्सली अरुणा से शादी की, जो उससे उम्र में 37 साल छोटी थी। शीर्ष नक्सली नेतृत्व ने इस संबंध का विरोध किया और चलपति को संगठन में डिमोट कर दिया। लेकिन, उसके अनुभव और योगदान को देखते हुए 2019 में उसे केंद्रीय समिति में फिर से जगह दी गई।
सेल्फी से पहचान हुई उजागर
मई 2016 में आंध्र प्रदेश में एक मुठभेड़ के बाद बरामद एक स्मार्टफोन में चलपति और अरुणा की सेल्फी मिली। इस सेल्फी ने सुरक्षा बलों के सामने चलपति का नया चेहरा उजागर कर दिया। इसके बाद, वह सुरक्षा बलों के निशाने पर आ गया।
मुठभेड़ में पत्नी अरुणा की मौत
चलपति की पहचान उजागर होने के कुछ महीनों बाद, ओडिशा में हुई मुठभेड़ में उसकी पत्नी अरुणा मारी गई। पत्नी को खोने के बाद भी वह संगठन के लिए सक्रिय रहा।
गरीयाबंद के जंगल में मारा गया चलपति
19 फरवरी 2025 को छत्तीसगढ़ के गरीयाबंद जिले के कुल्हारीघाट रिजर्व फॉरेस्ट में हुए मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने चलपति को मार गिराया। चार लेयर सुरक्षा घेरे और 8-10 निजी अंगरक्षकों के बावजूद सुरक्षा बलों ने इस कुख्यात नक्सली का खात्मा किया।
संगठन में ऊंचा कद
लंबे समय तक आंध्र-ओडिशा सीमा पर सक्रिय चलपति, छत्तीसगढ़-झारखंड के नक्सली संगठनों के बीच समन्वयक था। 2019 में बस्तर के जंगलों में रामकृष्ण की मौत के बाद, चलपति को ओडिशा स्टेट कमेटी का प्रभारी बनाया गया।
नक्सली संगठन को लगा दूसरा बड़ा झटका
चलपति संगठन का दूसरा शीर्ष नेता है, जो मुठभेड़ में मारा गया। 2021 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में केंद्रीय समिति के सदस्य मिलिंद तेलतुमड़े के मारे जाने के बाद यह सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता है।
चलपति की प्रेम कहानी और उसकी सेल्फी न केवल उसकी पहचान का कारण बनी, बल्कि उसके संगठन और जीवन का भी अंत कर दिया।