
KHABAR CHALISA SPECIAL : नया रायपुर को बनाने और संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आईएफएस अधिकारी एसएस बजाज ने एनआरडी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा मंजूर भी हो गया।
बजाज को कांग्रेस सरकार में भारी उठा-पटक के बाद आरपी मंडल की जगह यह पद मिला था। बजाज किसी प्राइवेट फर्म को ज्वाइंन कर सकते है। अब बजाज की जगह कई भूतपूर्व और वर्तमान अधिकारी इस पद की दौड़ में शामिल हो गए हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि वर्तमान टीम के साथ सामंजस्य नहीं बैठने के कारण एसएस बजाज ने इस्तीफा दिया है। अब नई पीढ़ी और नए लोगों को मौका मिलने के संकेत हैं।
भाजपा सरकार का नारा है हमने बनाया है, और हम ही संवारेंगे। देखना है कि नई राजधानी का काम आगे किस तरह बढ़ता है।
अमित शाह से क्या बात हुई…
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह तीन दिन यहां रूके, तो उनसे मिलने के ताकतवर लोग प्रयासरत थे। ऐसे करीब सवा सौ आवेदन केन्द्रीय गृहमंत्रालय को भेजे गए थे लेकिन इनमें से किसी को मंजूरी नहीं मिली। सिर्फ स्पीकर डॉ रमन सिंह से मुलाकात तय किया गया।
डॉ रमन सिंह ने नवा रायपुर के मेफेयर रिसार्ट में अमित शाह से लंबी चर्चा की। कुछ लोग इस मुलाकात के बाद रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी अटकलें लगा रहे हैं। इन सबके बीच अमित शाह का जाते-जाते बृजमोहन अग्रवाल को यह कहना कि प्रदेश की तरफ ध्यान दें, इसकी काफी चर्चा रही।
दागी अफसरों की मौज
कांग्रेस सरकार के समय से टीआई से लेकर कई एसपी और कलेक्टर अब तक जमे हैं। सरकार बदलने के बाद जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर में फेरबदल आमतौर पर हो जाता है। इसलिए सामान्य प्रक्रिया के तहत अफसरों के तबादले होंगे ऐसे अनुमान लगाया जा रहा था। दो-चार को छोड़ दें, तो बाकी सभी मुख्य धारा में आ गए हैं।आठ महीने बाद भाजपा के रणनीतिकार और कार्यकर्ता भी बोलने लगे हैं कि बदलबो का नारा जो चुनाव में दिया गया था वह प्रशासन में भी देखने को मिले। वर्षो से अहम पदों बैठे दागी-बागी टाइप के अफसरों को पिछले आठ महीने में भाजपा के नेताओं को सेट करने का भरपूर मौका मिल गया। ये अफसर भाजपा के रंग में रंग चुके हैं। इन लोगों के खिलाफ आवाज उठाने वाले और शिकायत करने वाले प्रकोष्ठ के प्रमुख पदाधिकारी ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
जेल जाने से कद बढ़ा
सेन्ट्रल जेल में बंद भिलाई के भाजपा विधायक देवेद्र यादव को कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर पद मिल गया। बिहार जैसे राज्य की बड़ी जिम्मेदारी मिली है। राजनीतिक आंदोलन के दौरान जेल जाने वाले नेताओं को प्रदेश की राजनीति में फायदा होता है। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने छात्र नेता रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के काफिले को सिटी कोतवाली के पास काला झंडा दिखाने का प्रयास किया था। खूब पिटाई हुई और जेल गए वहीं से सुर्खियां बटोरी और आज तक राज्य राजनीति में महत्वपूर्ण बने हुए हैं। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वर्तमान गृहमंत्री विजय शर्मा भी जेल जाने के बाद ही बड़े नेता बने हैं। इससे परे राष्ट्रीय पदाधिकारी रहे विकास उपाध्याय को असम के प्रभारी पद से हटाए जाने के बाद उनके समर्थक निराश हैं। अब उन्हें रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें हैं।
जुआरियों ने बदली वल्दियत..
रायपुर शहर के बड़े-बड़े होटलों में शराब, कबाब और जुए चलने का चलन बढ़ता जा रहा है। कई होटल बदनाम हो चुके हैं। नामी होटलों में कई अप्रिय घटनाएं हो चुकी है। नया रायपुर से लेकर रायपुर तक की बड़े होटलों में अवैध धंधे चलने की कई बड़ी खबरें निकलकर आने लगी है, तमाम संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जुआ और सट्टा में रकम पकड़ाने के बाद वास्तविक स्थिति का पता लगाना टेढ़ी खीर रहती है। बड़े होटलों में रईसजादे जुआं खलते पकड़ा रहे हैं लेकिन पिता का नाम गलत लिखवा रहे है। पुलिस से बचने के लिए सांठगांठ कर कई नामी-गिरामी परिवार के सदस्य अपने पिता का नाम बदलने के लिए काफी खर्च भी कर रहे हैं। पुलिस इस खेल के मायने को समझती है लेकिन बदनामी के डर से शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी अपनी वल्दियत तक बदल दे रहे हैं।
नाराज फूफा
शादी-ब्याह में घर के एक-दो सदस्यों के रूठने के किस्से सुनाए जाते हैं। व्यस्तता के बीच उनकी मान-मनौव्वल करनी होती है। ऐसे ही सत्तारूढ़ दल के एक विधायक नाखुश चल रहे हैं।
नाखुश इसलिए भी हैं उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है। उन्हें फूफाजी की संज्ञा दी गई है।
फूफाजी यानी विधायक महोदय ने अपने ही एक मंत्री के खिलाफ ट्रांसफर-पोस्टिंग में लेन-देन की बात यहां-वहां कह दी।
बात मंत्रीजी तक पहुंची, तो वो सीधे फूफाजी के घर पहुंच गए और उनसे लेन-देन को लेकर प्रमाण मांगा। साथ ही मंत्रीजी ने कह दिया कि पद छोड़ देंगे लेकिन बदनामी स्वीकार्य नहीं है। फूफाजी इधर उधर की बात बनाकर किसी तरह मंत्रीजी को संतुष्ट कर रवाना किया। मगर फूफाजी बात बात पर अपनी ही सरकार को कोसने में पीछे नहीं है। आखिर फूफा जो ठहरें।
एक बैच का दबदबा
विष्णु देव साय सरकार में वर्ष-05 बैच के अफसरों का दबदबा कायम है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी इसी बैच के आईएएस अफसर रहे हैं। इस बैच के आसपास के अफसर छाए हुए हैं। सीएम के सचिव आईपीएस अफसर राहुल भगत भी वर्ष-05 बैच के हैं।
केन्द्र सरकार के प्रतिनियुक्ति से लौटने पर रजत कुमार को अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। यही नहीं, इसी बैच के आईएफएस अफसर भी मजे में हैं और तमाम शिकायतों के बावजूद महत्वपूर्ण बने हुए हैं। भाजपा के नेताओं ने चुनाव से पहले कई शिकायतें भी की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ।