महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में भक्तों की उमड़ी भीड़, आधी रात को होगी महाआरती
रायपुर। महाशिवरात्रि पर्व पर हटेकश्वर महादेव, बूढ़ेश्वर महोदव के साथ शहर के अलग-अलग शिवालयों में सुबह से शिवभक्तों की भी भीड़ देखी जा रही है। मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी लाइन लगी हुई है।इधर, राजधानी में पहली बार 10 से अधिक शिव मंदिरों में भोलेनाथ की बरात निकालने की तैयारी की जा रही है। बरात में श्रद्धालु भोलेनाथ का रूप धरकर डमरू बजाते निकलेंगे। साथ में नंदी, देवी, देवता और भूत, प्रेत का रूप धारण कर श्रद्धालु शामिल होंगे।
शिव मंदिरों में सुबह 108 औषधियों, भस्म से अभिषेक और जलाभिषेक। शाम को भांग, धतूरा, चांदी के बर्क से श्रृंगार किया जाएगा। आधी रात को महानिशीथ काल में विशेष पूजा-अर्चना, महाआरती और प्रसाद वितरण किया जाएगा।
इन मंदिरों में महापूजन
महादेवघाट स्थित हटकेश्वर महादेव, बूढ़ापारा के बूढ़ेश्वर मंदिर, शंकरनगर स्थित सुरेश्वर महादेवपीठ, कटोरातालाब के योगेश्वर महादेव, मोतीबाग के बैजनाथधाम, मठपारा और नहरपारा के नीलकंठेश्वर, रावांभाठा के बंजारी मंदिर, समता कालोनी के शिव हनुमान मंदिर, बूढ़ापारा के गणेश, शिव मंदिर, राजीवनगर के शिव मंदिर, प्रोफेसर कालोनी के अघोर पीठ श्रीराम सुमेरू मठ औघड़नाथ दरबार समेत 25 से अधिक शिव मंदिरों में हवन, पूजन, रुद्राभिषेक, महाभंडारा प्रसादी का आयोजन किया जाएगा।
30 साल बाद शनि, सूर्य, शुक्र, गुरु का दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार 18 फरवरी को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रात्रि 8.02 बजे तक है। इसके पश्चात चतुर्दशी तिथि है। शाम 5.40 बजे तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और फिर चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र है। चतुर्दशी और श्रवण नक्षत्र की युति पर शिवरात्रि मनाने का विधान है। उदयकालीन त्रयोदशी और रात्रिकाल की चतुर्दशी शिवरात्रि के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। इस साल 30 वर्ष बाद शनि के स्वग्रही सूर्य की युति में रहते उच्च के शुक्र और गुरु की श्रेष्ठ अवस्था है। यह दुर्लभ संयोग है। इस दिन प्रदोष व्रत का योग है। प्रात:कालीन गोचर में सूर्य और चंद्र का लग्नस्थ होना और लग्नेश शनि का उच्चस्थ होकर लग्न में होना शुभदायी है।
चार प्रहर में शिव पूजन
– प्रथम प्रहर में शाम 06 से रात्रि 09 बजे तक दूध से अभिषेक करते हुए ‘ऊं ईशाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
– द्वितीय प्रहर में रात्रि 09 से 12 बजे तक दही से अभिषेक करते हुए ‘ऊं अधोराय नम:’ मंत्र का जाप करें।
– तृतीय प्रहर रात्रि 12 से 3 बजे तक घी से अभिषेक करते हुए ‘ऊं वामदेवाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
– चतुर्थ प्रहर रात्रि 03 से सुबह 06 बजे तक शहद से अभिषेक करते हुए ‘ऊं सद्योजाताय नम:’ मंत्र का जाप करें।
राशि के अनुसार मंत्र जाप
राशि मंत्र अभिषेक सामग्री
मेष ऊँ ह्रीं अधोक्षजाय साम्ब सदाशिवाय नम: केसर दूध
वृषभ ऊँ ह्रीं अम्बिका नाथाय साम्ब सदाशिवाय नम: मिश्री युक्त दूध
मिथुन ऊँ ह्रीं श्रीकंठाय साम्ब सदाशिवाय नम: गन्ने का रस
कर्क ऊँ ह्रीं भक्तवत्सलाय साम्ब सदाशिवाय नम: गाय का दूध
सिह ऊँ ह्रीं पिनाकिने साम्ब सदाशिवाय नम: अनार का रस
कन्या ऊँ ह्रीं शशि शेखराय साम्ब सदाशिवाय नम: बेल का शर्बत
तुला ऊँ ह्रीं शम्भवाय साम्ब सदाशिवाय नम: नारियल का पानी
वृश्चिक ऊँ ह्रीं वामदेवाय साम्ब सदाशिवाय नम: पंचामृत
धनु ऊँ ह्रीं सध्योजाताय साम्ब सदाशिवाय नम: गुलाब जल
मकर ऊँ ह्रीं नील लोहिताय साम्ब सदाशिवाय नम: काले अंगूर का रस
कुंभ ऊँ ह्रीं कपर्दिने साम्ब सदाशिवाय नम: मोंगरे का इत्र
मीन ऊँ ह्रीं विष्णु वल्लभाय साम्ब सदाशिवाय नम: बेलपत्र और दूध
12 तरह के पुष्प शिव को प्रिय
मन्दार, मालती, धतूरा , सिंदुवार ,अशोक ,मल्लिका , कुब्जक ,पाटल ,आंकड़े ,कदंब, लाल और नीला रंग का कमल।