SONIYA GANDHI ON BUDGET : गरीब, मध्यम और ग्रामीण या शहरी सभी वर्ग महंगाई, बेरोजगारी और घटती आय की मार से परेशान
SONIYA GANDHI ON BUDGET: All sections of poor, middle and rural or urban are troubled by inflation, unemployment and decreasing income.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल में केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को लेकर कहा कि ये बजट महंगाई, रिकॉर्ड बेरोजगारी और घटती आय जैसी गंभीर चुनौतियों का समाधान करने में विफल रहा है. उन्होंने कहा कि हमें भारत के लोगों की आवाज सुनने के लिए मोदी सरकार और उनके मंत्रियों के बजट महिमामंडन को अनसुना करना चाहिए.
यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने दैनिक अखबार में लिखे एक लेख में कहा कि इस बजट में गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं में आवंटन कमी और उनके अधिकारों में कमी की है. यह मोदी सरकार का गरीबों पर मौन प्रहार है. सोनिया गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान लाखों भारतीयों ने गंभीर आर्थिक संकट को लेकर निराशा व्यक्त की. गरीब, मध्यम और ग्रामीण या शहरी सभी वर्ग महंगाई, बेरोजगारी और घटती आय की मार से परेशान हैं.
गांधी ने कहा कि सरकार ने मनरेगा की फंडिंग एक तिहाई घटाई है, जिससे ग्रामीण मजदूरों के लिए अवसर कम होंगे. इसके अलावा सर्व शिक्षा अभियान के लिए भी फंडिंग लगातार तीन साल तक एकसमान रहेगी. बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की कमी होगी, क्योंकि मिड-डे मील की फंडिंग 10 प्रतिशत तक घटाई गई है.
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलने वाले पांच किलो मुफ्त अनाज अब आधा कर दिया गया है. इसी तरह अल्पसंख्यकों और दिव्यांगों के लिए योजनाओं और बुजुर्गों के लिए पेंशन की राशि भी कम कर दी गई है.
सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि भारी संकट के इस दौर में सामाजिक योजनाओं पर ऐसी स्ट्राइक की क्या आवश्यकता थी? प्रधानमंत्री इस पर चुप्पी साधे हुए हैं. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत को हाईवे, रेलवे, बंदरगाहों और बिजली की जरूरत है, लेकिन मानव विकास की कीमत पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए फंडिंग गलत कदम है.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार आवश्यक योजनाओं की फंडिंग घटाकर गरीबों से पैसा छीन रही है. साथ ही उनके अधिकार भी कमजोर कर रही है. हमारी सरकार ने शिक्षा, भोजन, काम और पोषण के कई अधिकार गरीबों को दिए थे. गांधी ने कहा कि अधिकार आधारित कानून नागरिकों को उनकी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति में तो मदद करते ही हैं, उन्हें सरकार से अपने अधिकार मांगने के लिए सशक्त भी बनाते हैं.
अखाबर में लिखे लेख में सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दिल में गरीब और कमजोर नागरिकों के अधिकारों के प्रति तिरस्कार का भाव समय-समय पर दिखता रहा है. उन्होंने गरीबों की योजना का संसद में मजाक उड़ाया था. यह बजट भी गरीब और मध्य वर्ग की कीमत पर अपने कुछ अमीर दोस्तों को लाभ पहुंचाने की प्रधानमंत्री की पसंदीदा नीति को दर्शाता है.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने कोविड के दौरान कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया, जिसकी वजह से वो दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल हो गए. सरकार ने बंदरगाहों और एयरपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर को सस्ते में बेचा और एलआइसी व एसबीआइ जैसे सार्वजनिक संस्थानों को निवेश के लिए मजबूर किया. अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि अब मोदी जी के सबसे पसंदीदा पूंजीपति पर गंभीर आरोप लग रहे हैं और करोड़ों भारतीयों की मेहनत की कमाई पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन मोदी जी खामोश हैं और संसद में बहस को रोक रहे हैं.
इस दौरान सोनिया गांधी ने जीएसटी, नोटबंदी, कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने विनाशकारी निजीकरण ने बेशकीमती राष्ट्रीय संपत्ति को चुनिंदा निजी हाथों को सस्ते में सौंप दिया, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है. सोनिया गांधी ने पूछा कि क्या यही वह ‘अमृतकाल’ है, जिसका मोदी जी चाहते हैं कि हम उत्सव मनाएं?