
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण की गेंद सरकार ने फिर से राज्यपाल के पाले में डाल दी है। राज्यपाल ने आरक्षण विधेयक को हरी झंडी देने से पहले सरकार से दस विंदुओं पर जानकारी मंगाई थी। हालांकि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि राज्यपाल को सीधे विभागों से जानकारी मांगने का अधिकार नही है। मगर अब सरकार ने राज्यपाल द्वारा मंगाई गई जानकारी राजभवन भेज दिया है। मुख्यमंत्री ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्यपाल ने जो जानकारी मांगी थी, उसे भेज दिया गया है। अब उन्हें अविलंब हस्ताक्षर कर देना चाहिए। में कांकेर एसपी ने दिया बयान जाहिर है, आरक्षण को लेकर सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। कभी राजभवन सरकार के पाले में गेंद डालता है तो कभी सरकार राजभवन के पाले में। हालांकि, बिलासपुर हाई कोर्ट द्वारा आरक्षण पर स्टे समाप्त करने के बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख अविलंब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण विधेयक पास करने कहा था। उन्होंने लिखा था कि आरक्षण कम होने से आदिवासियों का बड़ नुकसान हो रहा है। इसके बाद सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण पास कर दिया। लेकिन, उसमें आदिवासियों को आरक्षण बढ़ाने के साथ ही ओबीसी का आरक्षण बड़ाकर 27 फीसदी हो गया। विधानसभा में पारित विधेयक जब हस्ताक्षर के लिए राजभवन गया तो राज्यपाल ने दस्तखत करने से पहले उन्होंने कुछ विंदुओ पर सरकार से जानकारी मंगा ली।