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CG BIG NEWS : महासमुंद DEO के ट्रांसफर को मिला स्टे, HC ने इसलिए सुनाया फैसला

CG BIG NEWS: The transfer of Mahasamund DEO got a stay, that’s why the HC ruled

महासमुंद। यहां जिला शिक्षा अधिकारी के पद को लेकर पखवाड़े भर से तनातनी चल रही थी। दरअसल मंत्रालय, शिक्षा विभाग ने रायपुर के शिक्षा संभाग कार्यालय में पदस्थ उप संचालक मीता मुखर्जी को DEO महासमुंद के पद पर तबादले पर भेजा और महासमुंद में पदस्थ एस चन्द्रसेन को मीता मुखर्जी से खाली हुए पद पर ट्रांसफर कर दिया। मगर चन्द्रसेन द्वारा पद नहीं छोड़े जाने से विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी।

ज्वाइन किया मगर प्रभार नहीं मिला –

तबादले के बाद मीता मुखर्जी ने संभाग कार्यलय से तत्काल रिलीव होकर महासमुंद DEO कार्यालय में अपनी जॉइनिंग दे दी मगर वहां पदस्थ एस चन्द्रसेन ने उन्हें प्रभार नहीं दिया और वे अपने ट्रांसफर के खिलाफ हाई कोर्ट चली गईं।

एकतरफा कार्यभार का दिया आदेश –

मीता मुखर्जी ने प्रभार नहीं मिलता देख उच्चधिकारियों से इसकी शिकायत की। जिसके बाद संभागीय संयुक्त संचालक के. कुमार ने एक आदेश जारी करते हुए मीता मुखर्जी को DEO महासमुंद के पद पर एकतरफा प्रशासकीय और वित्तीय प्रभार ग्रहण करने का आदेश जारी कर दिया।

DEO के ट्रांसफर को मिला स्टे –

संभागीय संयुक्त संचालक के. कुमार जब मीता मुखर्जी के पक्ष में आदेश जारी कर रहे थे, उसी वक्त हाई कोर्ट बिलासपुर में महासमुंद की वर्तमान DEO के स्थानांतरण आदेश पर स्टे के फैसले पर हस्ताक्षर हो रहा था।

एस चन्द्रसेनसेवानिवृत्ति को बनाया आधार –

दरअसल श्रीमती एस चन्द्रसेन 6 महीने के बाद अप्रैल महीने की आखिरी तारीख को सेवानिवृत्त हो रहीं है, और उनका गृह जिला भी महासमुंद ही है। यह जानते हुए भी विभाग के अधिकारियों ने उनका तबादला गृहजिले से बाहर कर दिया। जबकि शासकीय सेवकों को सेवानिवृत्ति के आखिरी कार्यकाल में अपने गृहजिले से हटाने का प्रावधान नहीं होता। चन्द्रसेन ने इसी मुद्दे को आधार बनाकर हाई कोर्ट की शरण ली और कोर्ट ने सुनवाई के बाद उनके स्थानांतरण पर स्टे दे दिया। साथ ही मामले को लेकर विभाग में आवेदन करने और विभाग को 6 सप्ताह के भीतर प्रकरण में फैसला करने का आदेश दिया गया है।

संयुक्त संचालक के आदेश के औचित्य पर सवाल –

संभागीय संयुक्त संचालक के. कुमार द्वारा मीता मुखर्जी को एकतरफा प्रभार ग्रहण करने के दिए गए आदेश को लेकर विभाग में जमकर चर्चा हो रही है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि संभागीय संयुक्त संचालक को प्राचार्य या DEO स्तर के अधिकारी के मामले में आदेश देने का अधिकार है या नहीं? बताया जा रहा है कि इस तरह के मामले में कार्यवाही का अधिकार DPI को होता है, मगर अधिकारी के. कुमार ने आनन-फानन में आदेश जारी कर दिया। हालांकि DEO चन्द्रसेन को स्टे मिल जाने के बाद उनके आदेश का कोई भी औचित्य नहीं रह गया है।

बहरहाल DEO एस चन्द्रसेन को यथावत उनके पद पर रहने का आदेश मिल गया है और इस विवाद का पाटक्षेप हो गया है।

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