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तिरछी नजर : चेम्बर नेता को धमकी

निगम-मंडलों की सूची फिर अटक गई है । बताते हैं कि सिंधी समाज के तीन नेता राम गिडलानी, नानक रेलवानी और मोहन लालवानी को निगम मंडल में जगह मिलने की बधाईयाँ भी मिलने लग गई थी । चेम्बर के एक पूर्व पदाधिकारी ने तो बकायदा तीनों की फोटो लगाकर बधाई संदेश सोशल मीडिया में वायरल कर दिया । इसमें से एक ने फोन लगाकर चेम्बर के पूर्व पदाधिकारी को धमकी दे दी है कि यदि उनका नाम निगम मंडल की सूची में नहीं आया तो वो उन पर कानूनी कार्रवाई करेंगे । नेताजी का गुस्सा जायज भी है क्योंकि कांग्रेस में कुछ भी तय नहीं होता है, जब तक आदेश नहीं निकल जाता है बदलाव की गुंजाइश बनी रहती है ।

 

सर्वे रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

रमन सरकार के मंत्री-विधायक मुंबई की जिस संस्था से प्रशिक्षण लेते रहे हैं, उसकी हाल ही के एक गोपनीय सर्वे की पार्टी के भीतर खूब चर्चा हो रही है। संस्था ने पार्टी हाईकमान को बता दिया है कि ग्रामीण इलाकों में भाजपा की पकड़ कमजोर है। ऐसे में फिलहाल तो चुनावी संभावनाएं अनुकूल नहीं है। रिपोर्ट ने पार्टी के रणनीतिकारों की चिंता बढ़ाई है ।
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नेताजी को पद से हटाने का राज

दो महीने पहले दिग्गज भाजपा नेता को पद से हटाए जाने का खुलासा अब जाकर हुआ है। चर्चा है कि नेताजी के वाटसएप चेटिंग से सरकार से मिली भगत की पुष्टि हुई थी। इसके बाद आईटी के रास्ते सारी जानकारी हाईकमान को भेजी गई। इसके बाद नेताजी को पद से हटाने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई।
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दो कलेक्टरों में जंग

रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू और नए बिलाईगढ़-सारंगढ़ कलेक्टर राहुल वेंकट एक एसडीएम की पोस्टिंग के मसले पर आमने-सामने आ गए हैं। रानू ने एसडीएम मोनिका वर्मा को वापस रायगढ़ में पोस्टिंग के आदेश जारी किए, तो राहुल मोनिका के समर्थन में आगे आ गए।
मोनिका ने कलेक्टर रानू साहू के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। साथ ही उन पर बैक डेट में आदेश जारी करने का आरोप भी लगा दिया है। राहुल भी मोनिका के साथ खड़े हो गए हैं। उन्होंने जीएडी को चिट्ठी लिखकर मोनिका को यथावत रखने के लिए कहा है। कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन यह टल गई है। अब छुट्टियों के बाद सुनवाई होगी। खास बात यह है कि अफसरों के इस टकराव पर जीएडी मूक दर्शक बना हुआ है।
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श्रीनिवास की ताकत

हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स की पदस्थापना की फाइल में सीनियर अफसरों के साथ नवें नंबर के जूनियर अफसर श्रीनिवास राव का भी नाम चला, तो विभाग में हडक़ंप मच गया। बताते हैं कि राव विभागीय मंत्री की पसंद रहे हैं। हालांकि सीएम ने वरिष्ठता को ही तरजीह दी है, लेकिन राव भविष्य की संभावना बने हुए हैं।
राव न सिर्फ मौजूदा सरकार बल्कि पिछली सरकार के रणनीतिकारों के आंखों के तारे थे। तब रमन सिंह के तत्कालीन एसीएस एन बैजेंद्र कुमार ने उन्हें बहुचर्चित आरा मशीन घोटाले से मुक्ति दिलाई थी। राव इस प्रकरण में बरी होने वाले सबसे पहले अफसर थे।
वे पिछले साढ़े तीन साल से कैंपा का पद संभाल रहे हैं और शिकायतों के बाद भी सबके पसंदीदा बने हुए हैं। चुनावी साल में वो उपयोगी रहेंगे, ऐसा सरकार के कुछ लोग सोचते हैं। मगर सीएम काम को देखकर निर्णय लेने वाले माने जाते हैं। अब आगे भी ऐसा होगा या नहीं, मौजूदा हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स संजय शुक्ला के रिटायरमेंट के बाद ही पता चलेगा।
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रायपुर पुलिस की तारीफ!!!

सरकारी प्रेस नोट में डीजीपी के हवाले से कहा गया कि रायपुर,कोरबा और सुकमा एसपी के कामकाज से सीएम संतुष्ट हैं। मगर कई लोग इसके त्रुटिपूर्ण होने की आशंका पर बैठक में मौजूद अफसरों को टटोलने लगे । क्योंकि इसमें रायपुर का जिक्र है ।
रायपुर की पुलिसिंग की हालत किसी से छिपी नहीं है । दो- तीन पहले तो एक टीआई के साथकुछ लोगों ने सरेआम बदसलूकी कर दी । एक अन्य घटना में शहर के एक थाने में टीआई के सामने एक व्यक्ति ने दूसरे को ब्लेड मारकर घायल कर दिया। यह सब पूरे थाने स्टाफ के सामने हुआ है। इस तरह की घटनाओं ने अपराधियों के बढ़ते हौसले की तरफ इशारा कर रहे हैं ।
जांच पड़ताल का हाल यह है कि महादेव एप के विज्ञापन बड़े अखबारों के फ्रंट पेज पर छप रहे थे तब भी पुलिस अमला चादर ओढक़र सो रहा था। पीएचक्यू के आदेश के बाद ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई।
रायपुर की एक और घटना की चर्चा लोगों की जुबान पर है। कुछ दिन पहले युवा मोर्चा के प्रदर्शन के दौरान एक भाजयुमो कार्यकर्ता ने पुलिस की खुले तौर पर पिटाई कर दी। यह सोशल मीडिया में वायरल भी हुआ। युवा मोर्चा का कार्यकर्ता शान से शहर में घूमता रहा। लेकिन गिरफ्तार करने में पुलिस ने रूचि नहीं दिखाई। पुलिस की गश्त का बुरा हाल है। रायपुर एसपी को थाने की चेकिंग करते कम ही देखा गया है। ऐसे में अलग रायपुर पुलिस की तारीफ हुई होगी, तो पुलिसिंग को छोडक़र कोई और वजह होगी।
रायपुर की पुलिसिंग को देखकर लोग मुकेश गुप्ता, दीपांशु काबरा और आरिफ शेख को याद कर रहे हैं। मुकेश गुप्ता भले ही बेहद विवादास्पद रहे, लेकिन राज्य बनने के बाद उन्होंने गुंडा तत्वों पर प्रभावी कार्रवाई की थी। इसी तरह दीपांशु सीमित बल के बावजूद यातायात व्यवस्था को बेहतर करने के लिए जाने जाते हैं। मुकेश गुप्ता और दीपांशु की तरह आरिफ शेख ने भी बेहतर पुलिसिंग दिखाई है। वर्तमान में रायपुर आईजी की तत्काल पोस्टिंग की जरूरत महसूस की जा रही है। ताकि कम से कम निचले स्तर के अफसरों को बेहतर गाइडेंस मिल सके।

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