प्रदेश भाजपा के कर्ता-धर्ता पवन साय काम निकलवाने में माहिर माने जाते हैं। जेपी नड्डा के आगमन के मौके पर शहर के सजावट की बात आई, तो पार्टी के फंड मैनेजर टाल-मटोल करते रहे। तब पवन साय ने खुद इस काम का बीड़ा अपने हाथों में लिया।
बताते हैं कि भाजपा में शामिल होने की लाइन में लगे बसना के नेता संपत अग्रवाल को बुलाया और बैनर-पोस्टर लगवाने की जिम्मेदारी दी। साथ ही साथ भाजपा प्रवेश का वादा किया।
संपत ने खुशी-खुशी में लाखों रूपये फूंककर एयरपोर्ट से लेकर शहर के कई इलाकों में खूब बैनर-पोस्टर और होर्डिंग्स लगवाई। इसके लिए उन्होंने लाखों फूंक दिए। और नड्डा के आने के एक दिन पहले भाजपा में शामिल होने की बात आई, तो उन्हें यह कहकर टरका दिया कि अभी बड़े भाई साहब (मोहन भागवत) रायपुर में हैं। इसलिए हाईकमान ने प्रवेश का कार्यक्रम बाद में रखने के लिए कह दिया है।
अब लाखों उतर चुके संपत बैनर-पोस्टर तो उतरवा नहीं सकते थे। उनके समर्थक भाजपा नेताओं को कोसते हुए वापस चले गए।
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नड्डा के लिए शाही खाना
भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का दौरा भी गुटबाजी से अछूता नहीं रहा। नड्डा, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के करीबी माने जाते हैं। लिहाजा रमन सिंह के समर्थक कार्यक्रम में छाए रहे। बृजमोहन के करीबी केदार गुप्ता को नड्डा जी के खाने-पीने के इंतजाम की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन सारी तैयारी होने के बाद भी नड्डा के आवभगत से वंचित रह गए।
बताते हैं कि रोड शो के बाद एकात्म परिसर में नड्डा और अन्य नेताओं के खाने-पीने का इंतजाम किया गया था। केदार अपने दोनों बेटों के साथ दो दिन से इसकी तैयारी में लगे हुए थे। नड्डा और वरिष्ठ नेताओं के लिए खास छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाए गए थे।
और जब नड्डा एकात्म परिसर के नजदीक पहुंचे तो रमन सिंह के करीबियों का मैसेज पहुंच गया कि सभा में काफी लेट हो रहा है, लोग जाने लग गए हैं। फिर क्या था नड्डा जी सीधे साइंस कॉलेज मैैदान के लिए निकल गए। एकात्म परिसर के डाइनिंग हॉल में शिवप्रकाश और अजय जामवाल खाने की मेज पर नड्डा का इंतजार कर रहे थे। वो ठेठरी-खुरमी दबाया ही था कि राजीव अग्रवाल वहां पहुंच गए और बताया कि नड्डा जी सीधे निकल गए हैं। फिर तो वहां रूकने की कोई वजह नहीं रह गई थी। केदार ने काफी अनुरोध किया तो दोनों नेता जल्दी-जल्दी में दो चौसेला दबाकर निकल गए। बाद में वहां मौजूद छोटे कार्यकर्ताओं को शाही खाने का लुत्फ उठाया।
ओम माथुर के आने से
बदलेंगे समीकरण?
आरएसएस के प्रचारक रहे ओम माथुर भाजपा के सीनियर नेताओं प्रमुख हैं । कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं, लेकिन जब से उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है, तब से पार्टी के अंदरखाने में नए समीकरण बनने के संकेत दिख रहे हैं ।
बहुत कम लोग जानते हैं कि राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 में एकात्म परिसर में आगजनी और तोड़फोड़ की घटना के बाद बृजमोहन अग्रवाल को पार्टी से निष्कासित किया गया था तब उनका निष्कासन खत्म कराने में जिन प्रमुख नेताओं ने भूमिका अदा की थी उनमें ओम माथुर भी थे ।माथुर के साथ रामलाल ने भी बृजमोहन की मदद की थी । बृजमोहन का ओम माथुर से राजस्थान कनेक्शन है।
ऐसे में बृजमोहन खेमे का खुश होना लाजमी है ।
नवरात्र में बटेंगी लालबत्ती
पितृपक्ष के बाद निगम मंडलों में नियुक्ति के लिए विचार मंथन चल रहा है । सीएम एक बैठक कर भी चुके हैं । बताते हैं कि पांच से दस निगम मंडलों में नियुक्ति की जा सकती है । क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को ध्यान रखा जाएगा और उन क्षेत्रों के नेताओं को ज्यादा संख्या में पद मिल सकता है जहां कांग्रेस अपेक्षाकृत कमजोर नजर आ रही है।
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नौकरशाही में खामोशी
छत्तीसगढ़ में राजनीतिक उठक पठक के बीच मंत्रालय में पदस्थ बड़े अफसरों का रुख क्या है, यहहर कोई जानने को उत्सुक है। रमन सरकार के समय जिस सक्रियता के साथ आईएएस अफसर काम करते थे क्या ऐसी सक्रियता दिख रही है , इसकी चर्चा हो रही है ।ज्यादातर आईएएस अफसर दोनों नाव में सवार है। कुछ अफसर क्ष पोस्टिंग और संबंधों के आधार पर काम कर रहे है। पूरी ताकत और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल रहने वाले कुछ नौकरशाह कांग्रेस सरकार में अपने आपको अलग थलग किए हुए है । कई लोग इसको केन्द्रीय एजेंसियों से भय के रूप में देख रहे हैं ।
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मस्के का प्रमोशन
आईएफएस अफसर जयसिंह मस्के इस महीने के आखिरी में पीसीसीएफ प्रमोट हो जाएंगे । वैसे तो उन्हें तीन महीने पहले प्रमोट हो जाना था लेकिन एस एस बजाज को संविदा नियुक्ति मिल जाने के कारण प्रमोशन रूक गया । अब जब राकेश चतुर्वेदी रिटायर हो रहे हैं, तब उन्हें प्रमोशन का मौका मिल रहा है । अक्टूबर में मस्के रिटायर हो जाएंगे ।