BIG NEWS : आज तय होगी ED की ‘लक्ष्मण रेखा’, अब से कुछ देर में सुप्रीम कोर्ट सुनायेगा फ़ैसला

ED’s ‘Lakshman Rekha’ will be decided today, Supreme Court will give its decision in some time from now
नई दिल्ली। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अहम फैसला सुनाएगा. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट, प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की संवैधानिकता स्पष्ट कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह ईडी द्वारा की गई जांचों, गवाहों को समन, गिरफ्तारी और जब्ती व PMLA कानून के तहत जमानत प्रक्रिया से संबंधित कई मुद्दों को एक साथ संबोधित करेगा.
PMLA के विभिन्न पहलुओं पर 100 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करेगा. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा इसकी सुनवाई की जाएगी. खानविलकर 29 जुलाई को सेवानिवृत्त होंगे. पीठ में न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और दिनेश माहेश्वरी भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों पर भी असर पड़ेगा. इन मामलों में नेताओं, व्यापारियों और अन्य लोगों को PMLA के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा है. कोर्ट का फैसला ईडी समेत अन्य जांच एजेंसियों के अधिकार भी तय कर सकता है. इस फैसले से यह भी तय हो सकता है कि ये कि केंद्रीय जांच एजेंसियां किसी भी मामले में वर्तमान और भविष्य में कैसे काम करेंगी.
बता दें कि PMLA कानून के तहत गिरफ्तारी, जमानत देने, संपत्ति जब्त करने का अधिकार CrPC के दायरे से बाहर है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में PMLA एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए कहा गया है कि इसके CrPC में किसी संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं होता है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसकी संवैधानिकता स्पष्ट होगी.
PMLA के तहत 7 साल की सजा
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि जांच एजेंसियां प्रभावी रूप से पुलिस शक्तियों का प्रयोग करती हैं, इसलिए उन्हें जांच करते समय CrPC का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए. चूंकि ईडी एक पुलिस एजेंसी नहीं है, इसलिए जांच के दौरान आरोपी द्वारा ईडी को दिए गए बयानों का इस्तेमाल आरोपी के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है, जो आरोपी के कानूनी अधिकारों के खिलाफ है. याचिकाकर्ताओं ने ये भी तर्क दिया है कि कैसे जांच शुरू करने, गवाहों या आरोपी व्यक्तियों को पूछताछ के लिए बुलाने, बयान दर्ज करने, संपत्ति की कुर्की की प्रक्रिया स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है. हालांकि मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अधिकतम 7 साल की सजा है, लेकिन कानून के तहत जमानत हासिल करना बहुत मुश्किल है.
17 साल में 23 लोग दोषी ठहराए गए
हालांकि सरकार ने यह कहते हुए कानून का बचाव किया है कि यह एक विशेष कानून है और इसमें इसकी अपनी प्रक्रियाएं और सुरक्षा उपाय हैं. केंद्र ने यह भी तर्क दिया है कि मनी लॉन्ड्रिंग देश की आर्थिक ताकत के लिए एक गंभीर खतरा है और इससे निपटने के लिए एक सख्त व्यवस्था प्रदान करने की मांग की है. केंद्र सरकार ने लोकसभा में बीते सोमवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि 17 साल पहले कानून के लागू होने के बाद PMLA के तहत दर्ज 5,422 मामलों में केवल 23 लोगों को दोषी ठहराया गया है. 31 मार्च, 2022 तक ईडी ने PMLA के तहत करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की, जिसमें 869.31 करोड़ रुपये जब्त किए गए और 23 आरोपियों को दोषी ठहराया गया.